इंदौर। इंदौर सिंधी समाज के संतोष वाधवानी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि सिंधी जैसी समृद्ध भाषा को भी भारतीय करंसी में स्थान दिया जाए उल्लेखनीय है वर्ष1967 में सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया था किंतु आज तक सिंधी भाषा को भारतीय करेंसी में स्थान नहीं दिया गया जबकि सिंधी भाषा के बाद भी आठवीं अनुसूची में जोड़ी गई अनेक अन्य भाषाओं को भारतीय करेंसी में स्थान दिया गया है।
नोट पर होती हैं 17 भाषाएं
संतोष वाधवानी में जानकारी देते हुए बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की वेबसाइट के मुताबिक एक भारतीय नोट पर 17 भाषाएं प्रिंट होती हैं. इंग्लिश और हिंदी सामने की तरफ होती हैं तो नोट के पीछे की तरफ 15 भाषाएं प्रिंट होती हैं. भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिला और देश में 22 भाषाएं बोली जाती हैं. ऐसे में इन सभी भाषाओं को नोट पर प्राथमिकता दी गई है।
जो भाषाएं नोट पर प्रिंट होती हैं उनमें हिंदी और अंग्रेजी के अलावा असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृति, तमिल, तेलगु और उर्दू शामिल हैं. इसके साथ ही 2000 रुपए के नोट पर ब्रेल लिपि भी छपी होती है जिससे उन लोगों को आसानी हो जो देख नहीं सकते हैं।



