विश्व जल दिवस,
बोतल बंद पानी दूषित,
यदि बोतलबंद पानी का उपयोग रोक दिया जाए तो,
उपयोग के आधे खर्चे से…….
पूरी दुनिया को मिल सकता है,
“स्वच्छ पेयजल”
विश्व जल दिवस…..
पानी को लेकर जागरूक करता सारगर्भित………
लेख-: धर्मेंद्र श्रीवास्तव…..
आओ हम सब मिलकर आज एक बार फिर से विश्व जल दिवस के अवसर पर सामूहिक मंथन और विचार करें, जल संरक्षण, शुद्ध पेयजल और भूमिगत जल को लेकर नवाचार करें……
यह धारणा बिल्कुल गलत है, कि “बोतलबंद पानी शुद्ध होता है” सेहतमंद होता है, यदि हम बोतल बंद पानी की ओर जाना छोड़ दे तो प्लास्टिक वेस्ट में बहुत बड़ी कमी आ सकती है, सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 85% प्लास्टिक की बोतलें भारत सहित विश्व के कई देशों में नष्ट करनी पड़ती है,
भारतवर्ष में केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही “नल जल योजना” जल जीवन मिशन,
हर घर जल सर्वोत्कृष्ट है, इसके माध्यम से देश के महिला पुरुष ग्रामीण जन, स्वयंसेवक और शासकीय मशीनरी जुड़कर यदि ईमानदारी से कार्य करें तो देश की शत प्रतिशत आबादी को शुद्ध पानी मिलने लग जाएगा, और हम सभी 80% बीमारियों से बच जाएंगे, इसमें छोटी मोटी उल्टी दस्त से लेकर लीवर किडनी छोटी आत बड़ी आत शारीरिक मानसिक एवं अनेक बीमारियां केवल और केवल प्रदूषित जल के सेवन से होती है, बोतलबंद पानी के अंदर जो पानी हम तक पहुंचता है, उसमें पानी के सारे मिनरल्स नष्ट हो जाते हैं और वह पानी हमारे शरीर को फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान करता है, देशभर के आंकड़ों के साथ-साथ हम अपने मध्य प्रदेश के कई जिलों की बात करें तो, भूमिगत जल नष्ट होने की कगार पर है,
सरकारी आंकड़े बताते हैं, कि आज से 10 वर्ष पहले 60 फीट पर ट्यूबवेल खनन करने पर हमें पानी मिल जाता था, किंतु?
वर्तमान स्थिति में 600 से 900 फीट पर ट्यूबवेल खनन करने पर केवल और केवल धूल के गुबार के साथ तीव्र हवा के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं मिल रहा है, शासन-प्रशासन देश के युवा समाज सेवकों, व्यापारिक वर्ग उद्योगपतियों राजनीतिक लोगो सेलिब्रिटी को मिलकर आगे आना होगा नगरी क्षेत्र की नगर निगम, नगर परिषद, महानगरों की महानगरपालिका, ग्रामीण क्षेत्र की ग्राम पंचायतें इन सब को मिलकर कठोर निर्णय लेकर “रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” को लेकर तीव्रता से कार्य करने होंगे जब इस कार्य में गति आएगी तो भूमिगत जल स्रोतों को रिचार्ज कर भूमि में जल को उतार कर,
हम भूमि के पानी को बढ़ा पाएंगे, और आने वाले समय में पुनः भूमिगत जल के माध्यम से शुद्ध पेयजल का उपयोग कर पाएंगे वही देश के कृषक बंधुओं को जहरीले कीटनाशकों से भी दूरी बनाने की आवश्यकता है, अपनी फसलों जैसे फल सब्जी अनाज विभिन्न उपजो पर धीरे-धीरे कीटनाशकों के प्रयोग पर कमी लाकर उसे पूर्णता: बंद करने के प्रयास करने होंगे और जैविक खेती की ओर आगे बढ़ना होगा तब जाकर हमारा जल प्राकृतिक रूप से साफ और स्वच्छ होगा,
पीने योग्य होगा और हम महामारीओं से बचे रहेंगे,
विश्व जल दिवस के अवसर पर सभी को एकमत होकर उपरोक्त बातों को दैनंदिन जीवन में लाकर इन विषयों पर सामूहिक चर्चा कर,
अपने अपने क्षेत्रों में सेमिनार आयोजित कर विषय विशेषज्ञ को कार्यशाला में आमंत्रित कर उन के माध्यम से जनजागृति लाना चाहिए,
सभी को संगठित होकर ग्राम, नगर, जिला, संभाग प्रदेश और देश को जल पूरित करने के लिए पूरी शक्ति और ऊर्जा के साथ आगे आकर ईमानदारी से जल संरक्षण के कार्यों को गति देने के प्रयास,
जन जन में प्रचार प्रसार एवं जनजागृति के माध्यम से आरंभ कर देने चाहिए तब जाकर हम भविष्य में अपनी पीढ़ी को उपहार में शुद्ध पेयजल, सरलता और सहजता से उपलब्ध करा पाएंगे……