इन्दौर । श्री क्षत्रिय धनगर नवयुवक मंडल इंदूर एवं श्री क्षत्रिय धनगर सेवा संघ इंदूर के संयुक्त तत्वावधान में इन्दौर संस्थापक श्रीमंत सुभेदार मल्हारराव होल्कर की 330वीं जयंती पर भव्य शौर्ययात्रा गुरूवार 16 मार्च शाम 4 बजे देवी अहिल्या बाई होलकर प्रतिमा राजबाड़े से निकाली जाएगी। श्रीमंत सुभेदार मल्हारराव होलकर की जन्म जयंती पर निकलने वाली इस शौर्ययात्रा की तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। शौर्ययात्रा से मराठी भाषियों को एक जाजम पर लाने की अभिनव पहल भी इस यात्रा के माध्यम से की जा रही है। महाराष्ट्रीयन समाज द्वारा निकाली जा रही इस शौर्ययात्रा में इन्दौर की जनता को होलकर राजवंश के गौरवशाली इतिहास के साथ ही राजा-महाराजाओं की शौर्यगाथा व उनके इतिहास से भी रूबरू कराया जाएगा।
श्री क्षत्रिय धनगर नवयुवक मंडल इंदूर एवं शौर्ययात्रा संयोजक दीपक वालेकर (सोनू), क्षत्रिय धनगर सेवा संघ इंदूर अध्यक्ष हरिश बारगल एवं नवयुवक मंडल सचिव संजय कड़ ने बताया कि शौर्ययात्रा के दौरान जहां युवा श्रीमंत सुभेदार मल्हारराव होलकर के इतिहास से आम जनता को रूबरू कराएंगे। शौर्ययात्रा का पूरा स्वरूप राजशाही अंदाज में शानौ-शौकत से निकाला जाएगा। यात्रा पुरूष श्वेत वस्त्र व महाराष्ट्रीयन टोपी पहन शामिल होंगे तो वहीं महिलाएं भी केसरिया रंग के परिधान में नजर आएंगी। यात्रा के मार्ग में होलकरों का इतिहास बताती झांकी भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी। राजबाड़ा से निकलने वाली यात्रा में बैंड़-बाजे, घोड़े बग्घी, रथ, झांझ-मजीरा पार्टी के साथ ही अखाड़ों के कलाकार व युवतियां भी करतब दिखाते हुए यात्रा में शामिल होंगे। समाज के युवा राजशाही परिधान पहन घोड़े पर सवार होकर होलकर राजवंश के इतिहास से सभी को रूबरू कराएंगे। बग्घी में संवार मां अहिल्या यात्रा के मार्ग में आकर्षण का केंद्र रहेंगी। राजबाड़ा अहिल्या प्रतिमा से निकलने वाली शौर्ययात्रा प्रिस यशवंत निवास रोड़, पंढरीनाथ, हरसिद्धी, मोती तबेला, कलेक्टर चौराहा होते हुए लालबाग परिसर पहुंचेगी जहां मल्हारराव होल्कर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर इस यात्रा का समापन होगा। शौर्ययात्रा का मार्ग लगभग 4 किलोमीटर रहेगा। राजबाड़ा से प्रारंभ यात्रा 3 घंटे में लगभग लालबाग पहुंचेगी। यात्रा के मार्ग में 40 से अधिक अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा मंच से स्वागत भी किया जाएगा। शौर्ययात्रा में श्रीमंत यशवंतराव होलकर (तृतीय), महापौर पुष्यमित्र भार्गव, नगर अध्यक्ष गौरव रणदीवे सहित बड़ी संख्या में सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक पार्टी से जुडे कई गणमान्य नागरिक अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
मराठी भाषियों को एकजुट करने की पहल- शौर्ययात्रा संयोजक दीपक वालेकर (सोनू), क्षत्रिय धनगर सेवा संघ इंदूर अध्यक्ष हरिश बारगल एवं नवयुवक मंडल सचिव संजय कड़ ने बताया कि होलकर राजवंश के साथ ही इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य महाराष्ट्रीय समाज को जोडऩा है। यात्रा में मराठी भाषियों को एकजुट करने की अभिनव पहल भी इस यात्रा के माध्यम से की जा रही है। वहीं साल भर अलग-अलग धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम में भी महाराष्ट्रीयन समाज को जोडऩे की पहल का अभियान निरंतर चलाया जाएगा।
होलकर राजवंश के 14 गौरवशाली नरेश दिखेंगे एक साथ- शौर्ययात्रा में होलकर राजवंश के 14 गौरवशाली नरेश एक साथ घोड़े पर सवार होंगे। जिनमें श्रीमंत सूभेदार मल्हारराव होलकर, श्रीमंत मालेराव, अहिल्याबाई, तुकोजीराव, काशीराव, यशवंतराव, मल्हारराव होलकर द्वितीय, मार्तण्डराव, हरिराव होलकर, खंडेराव, तुकोजीराव द्वितीय, शिवाजी रव, तुकोजीराव होलकर तृतीय, यशवंतराव होलकर द्वितीय होंगे।
कटक से अटक तक के 52 युद्धों के विजेता- श्री क्षत्रिय धनगर नवयुवक मंडल इंदूर दीपक वालेकर ने बताया कि इन्दौर के संस्थापक श्रीमंत सुभेदार मल्हारराव होलकर का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है। मल्हारराव होलकर एक महापराक्रमी, योद्ध, दूरदृष्टा, कुशल रणनीतिकार, युद्धनीति के उत्तम शिल्पकार भी थे। श्रीमंत सुभेदार मल्हारराव होलकर ने मुगलों को युद्ध में हराकर होलकर राजवंश का गौरवशाली इतिहास भी लिखा। उन्होंने अपने जीवन काल में कटक से अटक तक के 52 युद्ध एक साथ ही जीते।
श्रीमंत सुभेदार मल्हारराव होलकर का परिचय- श्रीमंत मल्हारराव होलकर का जन्म 16 मार्च 1693 को होल गांव में हुआ था। आप महापराक्रमी योद्धा दूरदृष्टि ,कुशल रणनीतिकार, युद्ध नीति के उत्तम शिल्पकार थे। आपकी ही शिक्षा दीक्षा के कारण देवी अहिल्याबाई एक महान शासक के रूप में कार्य कर सकी, इसका संपूर्ण श्रेय श्रीमंत मल्हारराव होलकर को ही जाता है। श्रीमंत मल्हारराव होलकर ने 16 साल की उम्र में सरदार कदम बांडे जी की ओर से लड़ते हुए निजाम के सेनापति को मार डाला था। वहीं सन 1711 में आपने मालवा को मुक्त किया। इसी के साथ सन 1719 ईसवी में श्रीमंत मल्हारराव जी ने दिल्ली के किले पर जाकर फरुरखासियर को पराजित किया। आपके शासनकाल में आपने अनेकों युद्ध जीते और इंदौर के गौरव पूर्ण इतिहास के आप शिल्पकार रहे हैं।