प्रेस्टीज अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस के समापन पीएचडी, जिज्ञासा प्रतियोगिता के साथ हुआ।

 

इंदौर: लर्निंग मात्र किताबों या इंटरनेट के माध्यम से नहीं किया जा सकता, यह किसी भी स्रोत से आ सकता है। यह बात एसपी जैन स्कूल ग्लोबल मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. परिमल मर्चेंट ने प्रेस्टीज इंटरनेशनल कांफ्रेंस के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने छात्रों से कहा की अगर वे आगे नहीं बढ़ेंगे तो हमेशा एक ही जगह अटके रहेंगे।

बिट्स, पिलानी के प्रोफेसर एवं डीन, आर्य कुमार, ने कहा कि प्रेम, भय और सहयोग प्रबंधन का सार है। प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी इंदौर के वाइस चांसलर, डॉ. राजेंद्र नरगुंडकर ने कहा कि कैसे संतुलित स्कोरकार्ड दृष्टिकोण का उपयोग ऑनबोर्ड फैकल्टी द्वारा किया जा सकता है और वे नियमित रूप से पढ़कर शिक्षा और शिक्षण विधियों पर ध्यान दे सकते हैं।

इससे पूर्व प्रेस्टीज इंटरनेशनल कांफ्रेंस के दूसरे दिन की शुरुआत रविवार को पीएचडी तथा शोध आधारित प्रतियोगिता जिज्ञासा प्रतियोगिताओं से हुई। इसके पश्चात कानून, समाज कल्याण, सूचना प्रौद्योगिकी, विपणन, मानव संसाधन प्रबंधन, वित्त, अर्थशास्त्र और उद्यमिता पर 12 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। समापन समारोह की अध्यक्षता प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के वाइस चेयरमैन दीपिन जैन ने की।

डॉ आर्य कुमार को पीआईएमआर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड तथा परिमल मर्चेंट को पीआईएमआर विशिष्ट फेमिली बिज़नेस मैनेजमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।छात्रों को शोध के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए जिज्ञासा प्रतियोगिता में अभिषेक मंत्री एवं मीमांसा तिवारी को प्रथम पुरस्कार तथा आकाश विजयवर्गीय एवं आयुष चौधरी द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गया। कांफ्रेंस का समापन डॉ नितिन तांतेड़ के आभार प्रदर्शन से हुआ।