टैलेंट स्प्रिंट ने वूमेन इंजीनियरों के पांचवे संस्करण की घोषणा की, गुगल कर रहा सहयोग

 

 

मुंबई, – विश्व की जानी-मानी एडटेक कंपनी और डीपटेक प्रोग्रामों के माध्यम से शिक्षा क्षेत्र में बदलाव ला रही टैलेंट स्प्रिंट ने वूमेन इंजीनियरों (डब्लूई) के अपने पांचवे संस्करण की घोषणा की है। इस वर्ष के कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर की ऐसी 200 महिला इंजीनियरिंग छात्रों की पहचान करना, चुनना और उन्हें ट्रेनिंग देकर देकर इस तरह से विकसित करना है जो विश्व स्तरीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकें। जो भी छात्रा इसमें चयनित होगी उसे 100% फी स्कालरशिप और 100,000 की नगद स्कॉलरशिप दी जाएगी।

डब्लूई का मुख्य उद्देश्य अलग-अलग तरह के सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की मेधावी महिला इंजीनियरिंग छात्राओं का चुनाव करना है जिन्हें उच्च स्तरीय टेक कैरियर के लिए तैयार किया जा सके। प्रोग्राम में इस बात पर खास ध्यान रखा जाता है कि इन छात्राओं को उच्च स्तरीय विश्लेषण का कौशल्य, पहले से चल रहे प्रोजेक्टों, समस्या समाधान का कौशल्य, टैक के उत्कृष्ट टीचरों द्वारा मिल सके। यह प्रक्रिया एक सफल टैक करियर के लिए जरूरी होती है। गूगल ने टेक्नोलॉजी के माध्यम से मूल पहल करके इस कार्यक्रम की शुरुआत से ही मदद की है जिससे महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके।

पांचवे कोहार्ट की हुई घोषणा के विषय में बोलते हुए गूगल के वीपी-जीएम शिव वेंकटरमन ने कहा, ”हमारा वूमेन इंजीनियरों (डब्लूई) को इस कार्यक्रम में सहयोग देने का उद्देश्य गुगल द्वारा चलाए जा रहे स्थानीय वर्गों की मदद करना है और यह प्रोग्राम टैलेंट पूल को तैयार करने की एक कड़ी है। हमें खुशी है कि हम लगातार टैलेंटस्प्रिंट को उसके इन सराहनीय प्रयासों में मदद कर रहे हैं। यह कंपनी उन वर्गों का सफल करियर बनाने में लगी है जो टैक के क्षेत्र में अपनी परिस्थितियों के कारण बहुत ज्यादा आगे आ पाने में कामयाब नहीं होते। हमें इस बात से बहुत खुशी है कि इस कार्यक्रम के द्वारा टैक के विभिन्न क्षेत्रों में आ रहे बदलावों में सहयोग दिया जा रहा है और हम भविष्य की इन महिला लीडरों का इकोसिस्टम में स्वागत करने के लिए तैयार हैं।”

टैलेंट स्प्रिंट के सीईओ और एमडी डॉ. सांतनु पाल का कहना है, टैलेंटस्प्रिंट वूमेन इंजीनियर्स प्रोग्राम की शुरुआत 2019 में हुई थी जिसका लक्ष्य महिलाओं का ऐसा आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी इकोसिस्टम तैयार करना था जिसमें क्षमतावान, तकनीकी रूप से योग्य और आत्मविश्वासी प्रोफेशनल्स को कठिन और आसान दोनों तरह के कौशल्य का प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे जीवन के हर क्षेत्र में अग्रणी हो सकें। हमारा वर्षों का अनुभव रहा है कि जो छात्र मशहूर और कुलीन संस्थाओं से विशेष तरह का शिक्षण प्राप्त करते थे वह दौर अब खत्म हो चला है। डब्लूई प्रोग्राम से उच्च स्तरीय शिक्षा सबको सुलभ हो रही है और अच्छा प्लेसमेंट भी हो रहा है।”

डब्लूई के इस दो साल वाले गहन प्रोग्राम में टैलेंटस्प्रिंट की उच्च स्तरीय फैकेल्टी और इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के अलावा, गुगल के इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से छात्राओं को पढ़ाया जाता है। जो पहले वर्ष की बीटेक या बीई की छात्राएं हैं, और आईटी, सीएसई, ईईई, एआई, गणित, एपलाइड मैथ या समकक्ष विषयों की पढ़ाई कर रही हैं और जिन्होंने 10वीं और 12वीं में 70% से ज्यादा अंक प्राप्त किया है वे इस प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकती हैं।

इसके चयन की प्रक्रिया काफी कठिन है और सिर्फ 1% मेधावी छात्राएं ही इस प्रोग्राम में दाखिला ले पाती हैं। पहले चार कोहार्ट में 70,000 से ज्यादा आवेदन पत्र देश भर की 500 यूनिवर्सिटियों और इंजीनियरिंग कालेजों से प्राप्त हुए थे। इनमें से 750 छात्राओं को इस कार्यक्रम के लिए चुना गया। ज्यादातर 34% छात्राएं पहली पीढ़ी की स्नातक थीं और  25% के लगभग ग्रामीण भारत से आई थीं।

यह प्रोग्राम टैक के क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक तौर पर बढ़ी हुई लैंगिक (जेंडर) खाई को पाटने का काम करता है, और यह बहुत कारगर सिद्ध हुआ है क्योंकि डब्लूई वर्ग का विस्तार एक ऐसे उच्च स्तरीय और मेधावी महिलाओं के ग्रुप में हुआ है जो नेटवर्किंग और टैलेंट मेन्टरिंग के माहौल में अपना खुद का इकोसिस्टम तैयार कर रही हैं। वूमेन इंजीनियर्स की छात्राओं को लगभग 100% प्लेसमेंट दुनिया भर की 50 ग्लोबल कंपनियों में मिला हुआ है। इन छात्राओं को बाजार के पैमानों के मुताबिक औसत वेतन 3x का मिल रहा है और कुछ तो 54 लाख रुपए वार्षिक वेतन पर भी काम रही हैं। इस बात से पता चल जाता है कि डब्लूई प्रोग्राम उन युवा महिला छात्राओं के लिए एक बदलाव वाला प्लेटफार्म साबित हुआ है, जो अपनी प्रतिभा के बल पर एक अच्छा ग्लोबल कैरियर बनाना चाहती हैं।