गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन बगैर इंजन की गाडी के समान : महासती डॉ संयमलताजी

रतलाम । श्रमण संघीय जैन दिवाकरीय महासाध्वी डॉ. संयम लताजी म.सा. डॉ. अमित प्रज्ञाजी म.सा., डॉ. कमलप्रज्ञाजी म.सा., साध्वी सौरभ प्रज्ञाजी म.सा. आदि ठाणा -4 के सान्निध्य में गुरु पूर्णिमा के पावन प्रसंग पर जीवन में गुरु का क्या महत्व है इस विषय  नीमचौक स्थानक पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ. संयमलता ने कहा- गुरु एक पथ प्रदर्शक है, मार्गदर्शक है, राह दिखाने वाले है। गुरु हमें ज्ञान की चिनगारी देते है। सदगुरु जीवन रूपी ट्रेन का स्टेशन है। गुरु जीवन रूपी नौका का सफल और कुशल नाविक है। कैलेण्डर की तारिख बदलती है, इन्द्रधनुष के रंग बदलते है परंतु हमें अपने जीवन में वस्त्रों की तरह गुरु नही बदलना है। गुरु एक हो सेवा अनेक हो। गुरु नही तो जीवन  शुरु नही।
साध्वीजी ने आगे कहा- गुरु के दर पर कोई मनमानी नही होती यह बात भी पक्की है कोई परेशानी नही होती। बगैर गुरु के व्यक्ति का जीवन बगैर इंजन की गाडी के समान ही होता है । व्यक्ति, परिवार, संघ, समाज आदि को सफलता गुरु के बगैर कभी नही मिल सकती । दिवाकर, चौथमलजी म.सा. के जीवन पर, प्रकाश डालते हुए कहा की सेवा करने वाला शिष्य  गुरुकृपा से पारस तक बन जाता है। साध्वी श्री अमितप्रज्ञाजी ने कहा- जो हमारा गुरुर मिटा दे वो हमारे गुरु है। गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु बिना जीवन सूना है | समर्पण भाव से गुरु की इबादत करने से मोक्ष रुपी मंजिल अवश्य प्राप्त होती है।  गुरुपूर्णिमा के अवसर पर गुरु को याद करते हुए महामंगलकारी अनुष्ठान पूज्यनीय गुरुदेव मुनीन्द्र जैन दिवाकर करो आनन्द सम्पन्न हुआ।