लेख, धर्मेंद्र श्रीवास्तव, सेवा, समर्पण, संकल्प, कर्म, उपरोक्त चारों शब्द मनुष्य के जीवन में यदि निवास करते है, तो मनुष्य के जीवन में अहंकार का त्याग हो जाता है, किए गए कार्यों के प्रति सफलता प्राप्त कर लेने के पश्चात मनुष्य में बसा अहंकार उसे पतन की ओर ले जाता है, नए वर्ष के आगमन के साथ हम संकल्प करे की इस नव वर्ष में अहंकार हमसे कोसों दूर हो, सेवा भाव और समर्पण के साथ किया गया कर्म, सदैव प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है, उन्नति के द्वार खोल देता है, इसी तारतम्य में कुछ समय एकांत में बैठकर हम स्वयं के अंदर भी झांक कर देखें कि, कहीं किसी प्रगति को लेकर मन में अहंकार का भाव तो जागृत नहीं हो रहा है, यदि जागृत हो रहा हो तो, उसको त्याग कर सरलता, सहजता को जीवन में धारण करें, दूसरों के द्वारा व्यक्त किए गए अहंकार के भाव को अपने अंदर प्रवेश ना करने दें, कर्तव्य परायणता को अपने स्वभाव में, कर्म में स्थान दे, और यह मानस बना ले कि, हमारे अंदर केवल और केवल ईश्वर है, जो हमें अहंकार करने से रोक रहा है, बीते वर्षो में प्राप्त उपलब्धियों को घमंड में परिवर्तित ना होने दें, घमंड का विस्तृत स्वरूप ही अहंकार है, कर्तव्य और कर्म को साथ रखकर ईमानदारी के साथ आगे बढ़े, तभी अहंकार के त्याग के साथ होगा अंग्रेजी नववर्ष 2023 का आरंभ………