ज्ञानवर्धक और सकारात्मकता का प्रतीक है, शिक्षा……….

सकारात्मक जीवन शैली का मुख्य अंग है शिक्षा……
धर्मेंद्र श्रीवास्तव,
शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है,
ज्ञान प्रदान करना,
विवेक को जागृत करना,
हमारे सोच विचार की क्षमता का निर्माण करती है शिक्षा,
शिक्षा जीवन के विभिन्न पहलुओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है,
शिक्षा से मनुष्य में व्यवहारिक, व्यावसायिक, आध्यात्मिक, नैतिक, पारिवारिक, सामाजिक, जीवन शैली जीने का आधार स्तंभ प्राप्त होता है,
शिक्षित व्यक्ति अपने ज्ञान में वृद्धि करके परिवार समाज और देश में अपने बौद्धिक कौशल्य से ख्याति प्राप्त करता है,
अशिक्षित व्यक्ति की बुद्धि प्रखरता को प्राप्त नहीं करती,
अच्छे बुरे का ज्ञान प्राप्त नहीं करती,
इसलिए अनपढ़ व्यक्ति प्रत्येक स्थल पर नकारा जाता है,
यह कथन सत्य है, कि किताबी ज्ञान ही असल ज्ञान नहीं है,
लेकिन सकारात्मक शिक्षा ज्ञान में वृद्धि कर हमारे जीवन को नकारात्मकता से दूर ले जाती है, शिक्षित व्यक्ति भली-भांति जानता है,
कि हमें कहां उठना बैठना चाहिए, किसके साथ रहना चाहिए, किसके साथ क्यों नहीं रहना चाहिए, उसे परिस्थितियों में अंतर करने का ज्ञान प्राप्त हो जाता है,
और व्यक्ति उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम हो जाता है,
शिक्षित व्यक्ति में विवेक का जो आधार रहता है, वह बहुत स्थाई और पुष्ट होता है,
जिससे व्यक्ति कर्मशील होकर स्वयं के द्वारा अर्जित ज्ञान को स्वयं एवं देश की उन्नति में लगा देता है,
शिक्षित व्यक्ति का हाव भाव, उठने बैठने का तरीका, बोलचाल की व्यवहारिकता,
देखते ही बनती है, यह इसलिए क्योंकि उसके आसपास का वातावरण शिक्षित व्यक्तियों के सानिध्य में विद्वानों के व्याख्यान को श्रवण करने में लगा रहता है,
जिससे उसे पता चलता है,
कि हमें अपने जीवन में सभी को मान सम्मान देना चाहिए,
जब इस तरह की प्रवृत्ति व्यक्ति के मानस पटल पर केंद्रित हो जाती है,
तो वह छोटे बड़े सभी का मान सम्मान करता है,
और वह सभी जगह पूजनीय,
आदरणीय हो जाता है,
इसीलिए ज्ञानवर्धक और सकारात्मकता का प्रतीक है शिक्षा!