वन स्टॉप सेंटर ने जुड़वा बच्चों की मांँ को दिलाया लिंग आधारित भेदभाव से छुटकारा

 

सविता (परिवर्तित नाम) का प्रकरण केंद्र पर आया। सविता ने बताया की मैं ३ माह से अपने मां बाप के पास रह रही हूँ, दो जुड़वा बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की।पति ने मुझे मारा था, गला भी दबाने की कोशिश की, तब मैं घर छोड़कर मां पिता के पास रहने आ गई।मुझे पति पर केस करना है।
सर्व प्रथम युवती को वन स्टॉप सेंटर पर मिलनेवाली सुविधाओं के बारे में बताकर फिर पूछा गया की तुम क्या चाहती हो,क्या पति पर घरेलू हिंसा के अंतर्गत प्रकरण दर्ज करना चाहती हो?या परामर्श की प्रक्रिया से अपना मसला सुलझाना चाहती हो।
परामर्श की सुविधा की जानकारी मिलने पर सविता ने चाहा की पति को बुलाकर परामर्श दिया जाए, और अगर संभव हो तो मैं पति के साथ वापस जाना चाहती हूंँ।
तब प्रशासक डा. वंचना सिंह परिहार ने मामला परामर्श के लिए भेजा।
परामर्शदात्री सुश्री अल्का फणसे ने पहले महिला के दो एकल परामर्श सत्र लिए और उसकी पीड़ा और परेशानी को समझा।
तब ज्ञात हुआ की कई बातों को
लेकर सविता के मन में गहरी पीड़ा भरी है। सविता के दो छोटे जुड़वा बच्चों में एक लड़का और एक लड़की है, लड़के का सारा ख्याल रखा जाता है और लड़की से भेदभाव होता है। मुझे मेरे मायके जाने पर टोकते हैं। पति भाभी से सिर में तेल लगवाता है, उन्हें पार्लर लेकर गए, मुझे कह दिया समय नहीं है।
मुझे सास ससुर के साथ नहीं रहना। मुझे अलग रहना है, सास को मेरे हाथ का खाना पसंद नहीं तो वो ताने देती है। सविता की व्यथा सुनकर उसे दिलासा दिया गया। फिर सविता के पति संतोष को बुलाकर उसका पक्ष सुना गया।
संतोष का कहना था भाभी ने एकाध बार सिर में तेल लगाकर देती थी, पत्नी ने बेवजह बात का बतंगड़ बना दिया। उसके बाद तो मैने कभी लगवाया भी नहीं। पत्नी को भी लेकर जाता हूं सिर्फ एकबार दुकान पर व्यस्त था तो कहा की अभी नहीं आ सकता, तो झगड़ा किया की मुझे नहीं ले जाते भाभी को ले जाते हो।अलग रहने की जिद कर रही, पर मां बाप को मैं अकेला नहीं छोड़ सकता।
दोनों पक्षों को सुनकर हल निकालने का प्रयत्न किया गया।
संतोष ने उसी घर में अपने कमरे में अलग रसोई की व्यवस्था करने पर सहमति जताई जिससे आपसी टकराव कम हो और शांति बनी रहे क्योंकि संतोष स्वयं भी सहमत था की मां पुराने खयाल की होने से हरदम पत्नी को ताने देती रहती है।
यह बात संतोष के संज्ञान में लाई गई की किस तरह तुम्हारी अनुपस्थिति में बेटे को लाड से रखा जाता है और बेटी को दुत्कारा जाता है, इन सब बातों का बच्चों के मन मस्तिष्क पर कैसा परिणाम होता है और कैसे जीवन पर्यंत यह बाते समस्या उत्पन्न करती है। पत्नी को भी पति पर भरोसा रखने की समझाइश दी गई। संतोष ने सहमति जताई की पत्नी को अगर बुरा लगता है तो आगे से ध्यान रखूंगा। सविता ने भी इस बात से सहमति जताई की पार्लर तो वह भाभी के साथ जा सकती है, छोटी छोटी बातों को जीवन में इतना महत्व न दे, खुदके और बच्चों के भविष्य पर ध्यान दे। सास ससुर वृद्ध हैं, उनके प्रति जो जिम्मेदारी है उसे भी निभाए। अलग रसोई होने पर भी जरूरत पर, बार त्यौहार सबके साथ मिलकर रहें।
संतोष ने इस पर भी सहमति जताई की अगर पत्नी को ताने दिए जा रहें हैं तो आपकी जिम्मेदारी है की माता पिता से भी बात करे।
अंततः दोनो ने आपसी समझदारी से साथ रहना मान्य किया।जिला कार्यक्रम अधिकारी:श्री रामनिवास बुधोलियाप्रशासक : डाॅ. वंचना सिंह परिहार
परामर्शदात्री : अल्का फणसे केस वर्कर : शिवानी श्रीवास, विनीता सिंह, मोनिका चौहान