इंदौर, । यदि हम चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां कालसर्प दोष एवं पितृदोष से बची रहे तो इसके लिए हमें यह संकल्प करना होगा कि हम शास्त्रोक्त विधि से अपने पूर्वजों का समय-समय पर तर्पण एवं श्राद्ध करते रहेंगे। यदि पितरों के लिए तर्पण एवं श्राद्ध करेंगे तो आने वाली पीढ़ी के जन्मांक चक्र में कभी भी कालसर्प एवं पितृदोष नहीं हो पाएगा। तर्पण एवं श्राद्ध नहीं करने से ही परिवार में जन्म लेने वाली संतानों को कालसर्प एवं पितृदोष का शिकार होना पड़ता है। इस कारण ऐसी संतानों को जीवन पर्यंत संघर्ष करते हुए जीना पड़ता है। इससे बचने के लिए हमें पितरों के लिए तर्पण एवं श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए।
बड़ा गणपति पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में श्राद्ध पक्ष के उपलक्ष्य में चल रहे तर्पण अनुष्ठान में आज सैकड़ों साधकों ने यह संकल्प किया कि वे अपने पूर्वजों और पितरों के प्रति तर्पण एवं श्राद्ध कर्म अवश्य करते रहेंगे। भागवताचार्य पं. पवन तिवारी के सानिध्य में म.प्र. ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने सभी साधकों को तर्पण एवं श्राद्ध की महत्ता बताते हुए उक्त संकल्प दिलाया।
प्रारंभ में महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य एवं पं. पवनदास शर्मा के विशेष आतिथ्य में समिति के अध्यक्ष मोहनलाल सोनी, संयोजक हरि अग्रवाल, राजेन्द्र गर्ग, ए.के. पुंडरिक, गिरधर सोनी, आशीष जैन, राजेश मूंदड़ा आदि ने सभी अतिथियों एवं साधकों का स्वागत किया। भगवान हरि विष्णु के पूजन के साथ तर्पण का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर ज्ञात-अज्ञात दिवंगतों के साथ दादा-दादी, नाना-नानी, काका-काकी, मामा-मामी, भाई-बहन, पुत्र-पुत्री के अलावा देश के लिए शहीद हुए सैनिकों, देश की आजादी में सहयोगी रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, गोमाता, देवी अहिल्याबाई होल्कर आदि के लिए भी तर्पण किया गया। समापन अवसर पर आरती के बाद दो मिनट का मौन रखकर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, समाजसेवी जगतनारायण जोशी एवं समिति से जुड़े उमेश शर्मा को श्रद्धांजलि समर्पित की गई। आरती में अनोखीलाल शाह, राजकुमार मिश्रा, विनय जैन, मंजू सोनी, कमल गुप्ता, मुरलीधर धामानी सहित सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया। आज भी 600 से अधिक साधकों ने तर्पण में भाग लेकर गोसेवा के साथ ही पशु पक्षियों के लिए दाना-पानी का पुण्य लाभ भी उठाया। संचालन हरि अग्रवाल ने किया और आभार माना राजेन्द्र गर्ग ने।