इंदौर । पर्युषण महापर्व हमें शुद्धिकरण की ओर ले जाते हैं, पश्चात आत्म कल्याण का मार्ग बताते हैं, हम कहां हैं, हमें कहां जाना है, और कैसे सन्मार्ग पर पहुंचना है, यह हमें अंतरमन में झाँकना पड़ेगा, हमारी इच्छाएं अनंत है, इसीलिए हम भटकते रहते हैं, और हमें सन्मार्ग दिखाई नहीं देता है, जो जीव चरम शरीरी होते हैं उन्हें कोई मार नहीं सकता, और जो पुण्यशाली जीव होते हैं, उनके जीवन में दुख आते नहीं, और आते भी हैं तो टिकते नहीं, अपना पुण्य मजबूत हो तो हमारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता, यह पर्व हमें सन्मार्ग और आत्म कल्याण का मार्ग बतलाने आए हैं, हम इन पवित्र दिनों को गंभीरता से लेवे, अपने नियमित जीवन में बदलाव लाएं, जीवन में क्षमा के भावो को अंगीकार करें।
रात्रि को सोने के पहले सोचो कि आज मेने अट्ठारह पापों में से कौन से पाप किये है याद करो और पश्चाताप करो, क्षमा मांगो, पश्चाताप से ही आत्म कल्याण के मार्ग पर बढ़ सकते हैं ।
*यह प्रेरक प्रवचन पर्यूषण पर्व के तृतीय दिवस पर प्रवर्तक प्रकाश मुनि जी महाराज साहब ने महावीर भवन की धर्म सभा में व्यक्त किए।*
अंतगढ़ सूत्र का वाचन माहासती चंदना श्रीजी महाराज साहेब ने किया। कल्पसूत्र का वाचन महासती लाभोदया जी महाराज साहेब ने किया। पूज्य महासती रमणिक कंवर जी रंजन महाराज साहेब ने अंतगढ़ सुत्र की विवेचना में देवकी माहरानी एवं भगवान श्री कृष्ण के चरित्र की व्याख्या करते हुए कहां की दुख और सुख जीवन में कैसे आते हैं सुख कैसे भोगना और दुखों को कैसे निवारण करना इस पर विस्तार से प्रकाश डाला आज महिलाओं का चुनड़ी पर्व था बड़ी संख्या में सभी महिलाएं चुनड़ी धारण करके आई थी महासती जी महाराज साहेब ने चुनड़ी पर्व का महत्व बतलाया।
आज की धर्म सभा में रमेश भंडारी, हस्तीमल झेलावत, अजय जैन देवास वाला, अशोक मंडलीक, शरद मेहता, सुमतीलाल छजलानी, पदम तांतेड़, रितेश कटकानी, जिनेश्वर जैन आदि समाज जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे सभा का संचालन प्रकाश भटेवरा ने किया आभार महामंत्री रमेश भंडारी ने व्यक्त किया ।