आज हम आयुर्वेद की तीन चिकित्साओं पर बात करेंगे,आयुर्वेद याने आयु(लाइफ)वेद(ज्ञान)हमारा शरीर पूरी तरह पंच तत्व पे निर्भर है,जिसके तीन दोशा हैं(वात,पित्त,और कफ्फा)जैसे ही ये तीन दोशा असंतुलित होते है हमारे शरीर में समस्याएँ बढ़ने लगती है,आयुर्वेद याने जड़ी बूटी – जड़ी बूटी याने पेड़-पेड़ याने भोजन,हमारा शरीर में 70% पानी यानी तरल पदार्थ से बना हुआ है जिसे हम खून भी कह सकतें हैं,खून हमारे शरीर को ऊर्जा देने का कार्य करता है,अगर हमारे हृदय को खून की आवश्यकता होती है,तो वह हड्डी,दाँत या आँख से खून की प्राप्ति करता है जिसकी वजह से मनुष्य को अधिकतर हड्डी,दाँत और कमज़ोर आँखों का सामना करना पड़ता है।क्योंकि हमारा शरीर साथ रंगों से बना है तो उसे साथ रंग की ऊर्जा लेनी ज़रूरी है।जो मनुष्य चाह कर भी नहीं प्राप्त कर पाता तो आयुर्वेदिक वैज्ञानिकों ने हर दर्द के लिए सप्त कलर को इस्तेमाल कर जड़ी-बूटियों की गोलियाँ बनानी चालू की जो पेड़ – पौधे से बनी हुई हैं,और जिनका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं है,क्योंकि ये आर्गेनिक फ़ूड है जिन्हें बिना किसी केमिकल के बनाया जाता है,इसी पध्दति को देख विदेशी दवाइयों को अंग्रेजी नाम देके हिंदुस्तान में बिकवा रहे है।
अगर आज मनुष्य अपने शरीर की दैनिक दिनचर्या बदल कर अपने शरीर पर थोड़ा सा भी ध्यान दे और अल्टरनेटिव साइंस की इन चिकित्साओं का इस्तेमाल कर अपने शरीर को सही दिशा दे तो वह बड़ी से बड़ी समस्याओं को ठीक कर सकता है।
शरीर हमें ईश्वर की देन है,इसका ध्यान रखना मानव जीवन का कर्तव्य है।
हस्ते रहिये मुस्कुराते रहिये आपकी मुस्कान जन जागृति समिति के साथ जागरूक होते रहिये और अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए क्रियाएँ करते रहिए।
लेख – शालिनी रमानी