रतलाम । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) के निर्देश अनुसार, 1 जुलाई से 30 सितंबर तक ‘‘राष्ट्र के लिए मध्यस्थता‘‘ नामक एक विशेष अखिल भारतीय अभियान शुरू किया गया। इस 90-दिवसीय अभियान का उद्देश्य राज्य भर में तालुका न्यायालयों से लेकर उच्च न्यायालयों तक न्यायपालिका के सभी स्तरों पर मध्यस्थता के माध्यम से लंबित मामलों का निपटारा करना था।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति श्री संजीव सचदेवा की प्रेरणा से तथा मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अतुल श्रीधरन के कुशल मार्गदर्शन में, यह अभियान न्यायालयों में लंबित मामलों को उचित ढंग से सुलझाने तथा मध्य प्रदेश के हर कोने में विवाद समाधान के एक उपयोगकर्ता-अनुकूल तरीके के रूप में मध्यस्थता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाया गया।
इसी क्रम में जिला रतलाम में प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुश्री नीना आशापुरे के मार्गदर्शन में न्यायाधीश एवं सचिव श्री नीरज पवैया एवं जिला विधिक सहायता अधिकारी सुश्री पूनम तिवारी के सहयोग से जिला न्यायालय एवं तहसील विधिक सेवा समिति जावरा, आलोट एवं सैलाना के समस्त न्यायालयों में उक्त अभियान अंतर्गत विशेष कार्यवाही की जाकर मध्यस्थता प्रकरणों के निराकरण हेतु कार्यवाही की गई।
अभियान के दौरान, मध्यस्थता के माध्यम से कुल 231 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया गया, जिनमें काफी संख्या में लंबे समय से लंबित पुराने मामले भी शामिल थे। निपटाए गए मामलों में वैवाहिक विवाद, दुर्घटना दावे, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस मामले, आपराधिक समझौता योग्य मामले, उपभोक्ता विवाद, ऋण वसूली, बंटवारा, बेदखली, भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित दीवानी मामले शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि ‘‘राष्ट्र के लिए मध्यस्थता’’ अभियान, नालसा और सर्वोच्च न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) द्वारा 01 जुलाई से शुरू होने वाला एक राष्ट्रव्यापी 90-दिवसीय अभियान है। इसका उद्देश्य मध्यस्थता के माध्यम से लंबित मामलों के समाधान में तेजी लाना और लागत-कुशल तथा समय-बचत विवाद समाधान तंत्र के रूप में इसकी प्रभावशीलता के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है। यह अभियान तालुका से लेकर उच्च न्यायालयों तक सभी न्यायालय स्तरों पर लागू किया जा रहा है और वैवाहिक, दुर्घटना, दीवानी, फौजदारी और उपभोक्ता विवादों जैसी पात्र श्रेणियों को कवर करता है, जिसमें भागीदारी के ऑनलाइन, ऑफलाइन और हाइब्रिड तरीके उपलब्ध हैं।
यह अभियान विवादों को सुलझाने, अदालतों पर बोझ कम करने और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने में मध्यस्थता, संवाद और सहयोग की शक्ति को प्रदर्शित करता है।