आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर पत्रकारवार्ता का आयोजन
रतलाम, 25 जून। पुरातन काल से भारत लोकतांत्रिक गणराज्य रहा है। देश की जड़ों में लोकतंत्र कूट-कूट कर भरा है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए आदिकाल से भारत में कई महापुरूष भी पैदा हुए है, लेकिन 50 साल पहले भारत में जो हुआ वह देश की डीएनए में नहीं था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। आपातकाल युद्ध की स्थिति या देश में अशांति होने पर लगाया जाता है मगर तब सिर्फ इंदिरा गांधी ने अपना जनाधार खिसकने के डर से इसे लागू किया, जो इतिहास के काले पन्नों पर दर्ज है। भाजपा युवा पीढ़ी को इसी काले अध्याय के प्रति जागरूक करने के लिए काला दिवस मना रही है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने वाले सैनानियों का सम्मान कर रही है।
यह बात राज्यसभा सांसद बंशीलाल गुर्जर ने कही। वे भाजपा द्वारा आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर काला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय, उज्जैन के पूर्व जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सांकला, कार्यक्रम प्रभारी सुनील सारस्वत, सह प्रभारी अनिता कटारिया, जिला मीडिया प्रभारी अरूण त्रिपाठी एवं सह प्रभारी निलेश बाफना मंचासीन रहे। श्री गुर्जर ने बताया कि आपातकाल की घोषणा इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 का उल्लंघन कर की थी। इसमें देश के चौथे स्तंभ को भी कुचलने का प्रयास किया गया और विपक्षी नेताओं एवं कई पत्रकारों के साथ 98000 लोगों को जेल में डाल दिया था। भारत में लोकतंत्र कूट-कूट कर भरा था इसलिए कई लोग उसकी बहाली के लिए लड़े और जेल जाने वाले लोगों की संख्या 150000 तक पहुंच गई थी। लोकतंत्र बहाली के संघर्ष में राष्ट्र सेवक संघ ने महती भूमिका निभाई थी।