राक्षसी प्रवृत्तियों को नष्ट करने के लिए भगवान का स्मरण जरूरी- पंडित शास्त्री

 
रतलाम। श्रीमद् भागवत कथा सनातन दर्शन को विभिन्न ऐतिहासिक धार्मिक और प्रेरक गाथाओं के माध्यम से मानव जीवन की रक्षा का उपदेश देती है। कथा में वर्णित प्रत्येक पात्र श्रेष्ठ और उपयोगी जीवन जीने की प्रेरणा देता है, चाहे वह देवपात्र हो या राक्षसी चरित्र हो। देवताओं का पृथ्वी पर अवतार किसी विशेष प्रयोजन के निहितार्थ होता है यह श्रीमद् भागवत कथा का मूल यथार्थ है। यह कथाएं मात्रा कपोल कल्पित नहीं है बल्कि वास्तविकता और यथार्थ को दर्शाती है। पृथ्वी पर आनाचार अत्याचार और राक्षसी प्रवृत्तियों का विनाश करने के लिए ही भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार धारण करते हुए हिरण्य कश्यप जैसे दुष्ट राक्षस का वध किया था यह वध मात्र किसी दुराचारी का वध नही था अपितु समूची राक्षसी प्रवृत्तियो के विनाश का उद्घोष था।
उक्त उद्गार मंगल मूर्ति रेजीडेंसी में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भागवत आचार्य पंडित योगेश्वर जी शास्त्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहे। आपने कहा कि पृथ्वी पर जब-जब अत्याचार, अहंकार की बढ़ोतरी होती है तब-तब कोई देव आत्मा मनुष्य जीवन का धारण करती है, ऐसे देव अवतार और पुरुषों से ही मानव जाति सुरक्षित है। आपने भागवत कथा में आए विभिन्न चरित्रों को प्रयोगिक तरीके से समझाया। भक्त प्रहलाद की भक्ति को प्रतिपादित करते हुए कहां की ईश्वर पर भरोसा और विश्वास बहुत जरूरी है। भक्त प्रहलाद ने अपने पिता के अत्याचारों की परवाह न करते हुए अपने इष्ट भगवान पर भरोसा बनाए रखा। मुश्किल समय में भी हमें ईश्वर का साथ नहीं छोड़ना चाहिए वही हमें कठिनाइयों से बचाते हैं, भवसागर से पार लगाते हैं। श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा गाथा है । जो हमें सिखाती है की संकट की घड़ी में धैर्य और तर्कशक्ति नहीं खोना चाहिए।
कथा समाप्ति के बादआरती में शहर के नगर निगम लोक निर्माण समिति अध्यक्ष श्री विशाल शर्मा, क्षेत्रिय पार्षद मयूर पुरोहित, भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य निमिष व्यास, प्रसिद्ध भागवत आचार्य पंडित आनंदीलाल जी व्यास, खाचरोद प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ मुरलीधर चांदनी वाला, शिक्षाविदओपी मिश्रा, डॉ सुलोचना शर्मा, धर्मेंद्र सिंह देवड़ा, नरेंद्र सिंह पवार, राजेश जोशी, अरविंद मिश्रा ने सम्मिलित होकर पोथी पूजा एवं पंडित शास्त्री जी का सम्मान किया।
इस अवसर पर कैलाश शर्मा, महेश शर्मा, दिनेश शर्मा, सुनील शर्मा, निखिलेश शर्मा, प्रियेश शर्मा, दिव्यांश शर्मा, विनोद शर्मा, राजेंद्र व्यास, मनीष शर्मा, गौरव शर्मा, संदीप शर्मा, बालकृष्ण राजावत, हरि बल्लभ शर्मा, गगन पाठक, रमेश पाठक, दीपक शर्मा, ज्ञानेश शर्मा, प्रदीप व्यास खाचरोद, कृष्ण चंद्र ठाकुर, नरेंद्र सिंह राठौड़, मिथिलेश मिश्रा,  श्याम सुंदर भाटी, दयाशंकर पालीवाल, दशरथ जोशी, रमेश परमार, जगदीश सोनी भेरूलाल हाडा  सहित सैकड़ो स्त्री पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दिलीप वर्मा तथा आभार प्रियेश शर्मा ने व्यक्त किया।