पाकिस्तान का पक्का इलाज करना होगा – प्रो. देवेन्द्र कुमार शर्मा

कश्मीर घूमने गये हिन्दू सैलानियों की निर्मम हत्या असहनीय और हृदय विदारक है। आतंकियों द्वारा ऐसा निर्मम हत्याकांड पहला नहीं है। पाकिस्तान बनने के बाद से ही कश्मीर में ऐसे अनेक हत्याकांड हो चुके हैं। हम आंसु बहाते हैं और भुल जाते हैं। कुछ समय बाद फिर हत्याकांड होता है, कुछ आतंकी मार दिये जाते हैं और सरकार कहती है कि हमने बदला ले लिया। 1947 से ऐसे ही सब चल रहा है। असंख्य भारतीय नागरिक मारे जा चुके हैं। काश्मीरी पंडितों पर हुए निर्मम अत्याचार को भी देश भुल चुका है। उस समय की भारत सरकार ने उफ तक नहीं किया। नेहरू का तो पाकिस्तान के प्रति बहुत ही उदार रवैया था। नेहरू द्वारा घोषित युद्ध विराम का परिणाम देश आज तक भुगत रहा है। विश्व इतिहास में यह एक मात्र घटना है जिसमें सरकार ने खुद की जीतती हुई सेना को रोक दिया हो। गांधी द्वारा नेहरू को प्रधानमंत्री बनाना देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप साबित हुआ है।
पुलवामा और उरी हत्याकांड के बाद मोदी सरकार ने दो बड़ी कार्यवाही आतंकियों के विरुद्ध पाकिस्तान में घुस कर की थी। इन कार्यवाही में कुछ आतंकियों को पाकिस्तान में घुस कर मारकर सरकार ने सोचा था कि इससे पाकिस्तान में बैठे आतंक कराने वालों को समझ आ जाएगी और भविष्य में आतंकी कार्यवाही नहीं करेंगे, किन्तु ऐसा नहीं हुआ। आतंकी थोड़े-थोड़े समय बाद आते हैं और बड़ा हत्याकांड करते हैं। कुछ आतंकियों को मारना समस्या का समाधान नहीं है। समस्या का समाधान आतंक फैलाने वालों को सबक सिखाना होता है।
गंभीरता से विचार करें तो समझ में आता है कि भारत में आतंक पाकिस्तान की सेना करवाती है। पाकिस्तान में बैठे जो दूसरे चेहरे दिखाई देते हैं वे सब सेना के द्वारा बनाये गये लोग ही हैं। इक्के-दूक्के लोगों को मारने से कुछ नहीं होगा। यदि कश्मीर में आतंकवाद का पक्का इलाज करना है तो पाकिस्तान की सेना को ही अच्छा सबक सिखाना होगा। जब तक पाकिस्तान की सेना का पक्का इलाज नहीं होगा तब तक भारत में आतंकवाद समाप्त नहीं होगा। जब पाकिस्तानी सैनिकों की लाशें गिरेगी तब आतंकवाद कम होगा। काटेदार पेड़ की शाखाएं काटने से कांटे खत्म नहीं होते, ऐसे पेड़ को जड़ से ही उखाड़ना पड़ता है। हमारी सरकार को आतंक विरोधी नीति की पूरी समीक्षा करनी चाहिए। 1947 से आज तक हम अपने देश में लड़ रहे हैं। हमारे लोग मर रहे हैं, हमारे सैनिक बलिदान दे रहे हैं। कुछ आतंकियों को मारकर हम अपनी पीठ थपथपाते हैं कि हमने बदला ले लिया। एक आतंकी और सैनिक की तुलना करना ही गलत है। एक सैनिक बनाने में बहुत मेहनत, समय और धन खर्च होता है। सैनिक की मृत्यु से देश और परिवार दोनों का बड़ा नुकसान होता है। इसलिए भारत को अपनी नीति तुरंत बदलनी चाहिए और पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तान की सेना को सबक सिखाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कोई और स्थायी समाधान आतंकवाद का नहीं हो सकता। आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान की सेना ही है, जब तक उसका इलाज नहीं होगा तब तक भारत में आतंकवाद समाप्त नहीं होगा।
वर्तमान में परिस्थिति भारत के पक्ष में हैं। दुनिया के सभी प्रमुख देश आतंकवाद का विरोध और आलोचना कर रहे हैं। बलूचिस्तान आजादी के लिए पाकिस्तान से संघर्ष कर ही रहा है। अफगानिस्तान के तालिबान भी पाकिस्तान से लड़ रहे हैं, ऐसे में यदि भारत आक्रमण करता है तो बलूचिस्तान वाले भी और ताकत से पाकिस्तान से लड़ेंगे। इस तरह पाकिस्तान दोनों तरफ से घिर जाएगा और कमजोर पड़ जाएगा। यह बहुत अच्छा अवसर है आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने का। भारत का जब विभाजन हुआ तब बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश था। वह भारत में मिलना चाहता था किन्तु नेहरू ने नहीं माना। पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा कर लिया था तब से आज तक बलूच आजादी के लिए अपना खुन बहा रहे हैं। पाकिस्तान पर आक्रमण करके भारत बलूच की भी मदद करेगा।
हमारे देश में पाकिस्तान प्रेमियों की बड़ी लॉबी सक्रिय है। उनको हम सब जानते हैं। जब भी युद्ध की बात आती है तो यह लॉबी कहती है कि पाकिस्तान के पास एटमबम है। भारत के पास नहीं है क्या। ऐसी बातों से डरने वाले देश सुरक्षित नहीं रह सकते। एटमबम से डरता तो युक्रेन तीन वर्षों से रूस से युद्ध नहीं करता। डरने वाले या सज्जनता दिखाने वाले देश सुरक्षित नहीं रह सकते। भारत का दुर्भाग्य रहा है कि हमारे देश में विभाजनकारी ताकतें हमेशा देश विरोधी काम करती रही है, एकता की हमेशा कमी रही है। स्वार्थी तत्वों ने निजी स्वार्थ को हमेशा देश हित के ऊपर रखा है। इसी कारण पहले मुसलमान और फिर अंग्रेज भारत पर हावी हो गये। तब देश में 500 राजा थे यदि सब मिलकर विदेशियों से युद्ध करते तो गुलामी भुगतनी नहीं पड़ती।
सिखना तो इजराइल से भी चाहिए। उसके कुछ नागरिकों हमास ने मार दिया उसके बाद इजराइल जो सबक दुश्मनों को सिखा रहा है वह सबके सामने है। यही एक तरीका है सुरक्षित रहने का। अंग्रेजी की प्रसिद्ध कहावत ‘आक्रमण ही सर्वोच्च सुरक्षा है’ इसलिए पाकिस्तान का पक्का इलाज किया जाना बहुत आवश्यक है। बिना पाकिस्तानी सेना को सबक सिखाये आतंकवाद समाप्त नहीं होगा।