मनुष्य सांप को भी नहीं छोड़ रहा – प्रो. डी.के. शर्मा

देखते ही देखते मनुष्य बहुत बदल गया, कहां से कहां आ गया। उसके आचार – विचार और व्यवहार में अकल्पनीय परिवर्तन आ गया है – यह परिवर्तन सुचिता, सुसंस्कार, सदव्यवहार की ओर नहीं बल्कि नकारात्मक आचार-विचार और व्यवहार से प्रभावित है। आधुनिकता के विष ने उसके जीवन दर्शन को नकारात्मकता की ओर मोड़ दिया है। कुछ वर्षों पूर्व तक खान-पान की पवित्रता बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती थी। चारित्रिक सदव्यवहार जीवन दर्शन हुआ करता था। इस नैतिक जीवन दर्शन में परिवर्तन की कल्पना नहीं की जा सकती थी। किन्तु अकल्पनीय वास्तविक हो गया।

अब मनुष्य आधुनिक हो गया है। शिक्षा के मापदण्ड आधुनिक और अंतर्राष्ट्रीय हो गए हैं। शिक्षा का मूल उद्देश्य ही बदल गया। कभी शिक्षा मनुष्य को सुसंस्कृत, सदाचारी, समझदार व्यक्ति बनाने के लिए हुआ करती थी। अब शिक्षा का एक मात्र उद्देश्य अधिक से अधिक धन कमाना हो गया है। धनवान हो गया तो व्यक्ति समाज में महत्वपूर्ण हो गया। धनवान व्यक्ति के अवगुण भी सद्गुण माने जाने लगे हैं। जहरीलें ड्रग्स की पार्टियां धनवान लोगों के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई हैं। अब सांप का जहर आधुनिक पार्टियों में पिलाया जाने लगा है- जहर भी सबसे अधिक जहरीलें सांप का। सभी संचार माध्यमों में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित-प्रसारित हुई, सभी ने देखी-पढ़ी होगी। समाज की प्रतिक्रिया क्या ? पता नहीं, कुछ प्रतिक्रया हुई भी अथवा नहीं। वास्तव में समाज अब असंवेदनशील हो गया है। हमारे आस-पास जो कुछ होता है हम उसकी ओर ध्यान नहीं देते। यह कहकर टाल देते हैं कि हमें क्या? हम इस सत्य की ओर ध्यान नहीं देते कि समाज में चल रही बुराई कभी न कभी हमें और हमारे परिवार को प्रभावित कर सकती है।

यह एक घटना मात्र नहीं बल्कि सामाजिक परिदृश्य में आए परिवर्तन का प्रतीक है। अब नशा करने की प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है, विशेषकर युवाओं में। शराब की दुकान पर अब युवतियों को भी शराब खरीदते हुए देखा जा सकता है। शहरों में सड़कों पर देर रात हंगामा करते हुए लड़कियां भी देखी जा सकती हैं। यह नये समाज के बदलते हुए परिदृश्य का प्रतिबिम्ब है, जीवन मूल्यों में परिवर्तन का प्रतीक है। युवाओं में ड्रग्स का सेवन खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। अब ड्रग्स से संतोष नहीं होता अब नशे के लिए सांप का जहर चाहिए। सांप का जहर पीने वाले लोगों की सोच कितनी जहरीलें होगी इसका अनुमान लगाने से ही डर लगता है। ये लोग पैसे वाले एवं प्रभावी होते हैं। इससे अधिक विषैला दुरुप्रयोग धन का नहीं हो सकता। ये समाज के परिदृश्य को प्रभावित करते हैं। मध्यम वर्ग और उससे नीचे वर्ग के युवक इन सभ्रांत नशेड़ियों की नकल करते हैं। सभी जानते हैं कि खतरनाक ड्रग्स की पुड़ियाएं शहर-कस्बों की गलियों में उपलब्ध हैं। ड्रग्स का व्यापार अंतर्राष्ट्रीयस्तर पर बहुत बड़ी मात्रा में होता है। ड्रग्स की लत के कारण पंजाब के युवक बहुत कम संख्या में सेना में भर्ती होने के योग्य रह गए हैं। सीमावर्ती कई अन्य क्षेत्रों का भी यही हाल है। युवा देश के धरोहर होते हैं, देश का भविष्य होते हैं उनमें नशे की लत फैलाकर समाज और देश को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। सचमुच समाज और देश बहुत गंभीर खतरे में हैं।
नशे से नैतिक मूल्यों का भी पतन होता है। नशे में व्यक्ति को उचित- अनुचित, नैतिक-अनैतिक का भान (ध्यान) नहीं रहता। एक नशेड़ी व्यक्ति अपने परिवार को नकारात्मकता के विष में डुबोता है। हम कई नशेड़ियों के परिवार की दुर्दशा से अवगत हैं। इनके परिवार मानसिक रूप से बहुत प्रताड़ित होते रहते हैं। हम कई अच्छी आय वाले नशेड़ियों के परिवार की दयनीय अवस्था से अवगत हैं। नशेड़ी परिवार और समाज के लिए अनुपयोगी और घातक होता है। वह समाज को खोखला करता है और सामाजिक वातावरण को विषैला। ऐसे कमजोर समाज वाला देश कमजोर ही होगा। लेटीन अमेरिका के कई देश ड्रग्स के कारण बर्बाद हैं। इटली का ड्रग माफिया पूरी दुनिया में कुख्यात रहा है। ये बड़े-बड़े अपराधों में भी लिप्त पाये जाते हैं। वहां की सरकारे भी उनको नियंत्रित नहीं कर पा रही हैं।
समाज को खतरा बहुत गंभीर है और बढ़ता ही जा रहा है। इसे रोकने के लिए पूरे समाज को जागरूक होना पड़ेगा। परिवार के एक व्यक्ति के नशेड़ी हो जाने से पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है। हम ऐसे कई प्रकरणों से अवगत हैं। ड्रग्स का व्यापार करने वालों को भी सोचना चाहिए कि नशे का अभिशाप इनके परिवार को भी बर्बाद कर सकता है। इसे रोकने के लिए बहुत गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है परन्तु कोई प्रयास ड्रग्स का सेवन रोकने के लिए होते नहीं दिख रहा। ड्रग्स सेवन से मुक्ति के लिए कई शिविर भी लगाए जाते हैं किन्तु ‘फॉलो-अप’ अब नहीं होने से अधिकतर नशा मुक्त युवक फिर से ड्रग्स का सेवन करने लग जाते हैं। समाज जाग जाए तो अच्छा है वरना बर्बादी निश्चित है।