*नींद कम आना या नहीं आना जीवनशैली नहीं बीमारी है, सुधार जरूरी*
*इंदौर में नींद से जुड़ी समस्याओं पर हुई दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस डॉक्टर्स ने आम लोगों के सवालों के दिए जवाब*
*नवजात से लेकर बुजुर्ग तक, किसी को भी हो सकती है नींद से जुड़ी समस्याएं*
इंदौर, : नींद हमारी मूलभूत जरूरतों में से एक है, लेकिन तेज रफ्तार जिंदगी में नींद की समस्याएं एक आम चुनौती बन गई हैं। नींद से जुड़ी समस्याओं पर विस्तृत चर्चा करने के लिए मध्यभारत में पहली बार साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (SEAASM) द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में नींद संबंधी विकारों पर गहन चर्चा की गई। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के नींद विशेषज्ञ, छाती रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ, नाक कान गला रोग विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजिस्ट, साइकोलॉजिस्ट और शिशु रोग विशेषज्ञ ने अनुभव साझा किए।
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन की शुरुआत एक वाक-ए-थॉन के साथ हुई। इस वाक-ए-थॉन का उद्देश्य नींद की समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करना और स्वस्थ नींद के महत्व को रेखांकित करना था। इस आयोजन में दुनिया भर से आए डॉक्टर्स, मेडिकल स्टूडेंट्स और शहर के विभिन्न क्षेत्रों से लोग शामिल हुए।
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन आम लोगों के लिए एक विशेष टॉक शो का आयोजन किया गया जहां लोगों ने नींद की कमी, नींद ना आने की समस्या, खर्राटों आदि से संबंधित अपनी जिज्ञासाओं को विशेषज्ञों के सामने रखा, इस विशेष सेशन में डॉ. सलिल भार्गव, डॉ. वी एस पाल, डॉ. उपेन्द्र सोनी, डॉ. नेहा राय, डॉ. शिवानी स्वामी, डॉ. राजेश स्वर्णकार और डॉ. रवि डोसी ने संतोषजनक उत्तर दिए।
लखनऊ से आए श्वसन-रोग विशेषज्ञ डॉ. बी.पी. सिंह ने बताया, “हम बीते 20 वर्षों से नींद संबंधी समस्याओं पर शोध कर रहे हैं. हमने पाया है कि लोग अक्सर नींद की समस्याओं को सामान्य समझ लेते हैं, उन्हें लगता है कि यह जीवन का एक हिस्सा है। लेकिन यह सच नहीं है, इन समस्याओं का इलाज संभव है और इन्हें पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। पिछले कुछ दशकों में मोटापा बढ़ने के कारण नींद संबंधी समस्याएं और हृदय, मस्तिष्क और श्वसन रोग भी बढ़े हैं। इस सम्मेलन में हमने इन समस्याओं के समाधान पर चर्चा की है।”
SEAASM के अध्यक्ष श्वास-रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश स्वर्णकार ने बताया, “नींद की कमी न सिर्फ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक रूप से भी नुकसानदायक है। कई समस्याएं नींद की कमी के कारण होती हैं। उदाहरण के लिए, देश में तलाक का एक बड़ा कारण खर्राटे हैं. भोपाल गैस त्रासदी, चेरनोबिल और कई सारी सड़क दुर्घटनाएं भी नींद की कमी के कारण हो रही है। हमने परिवहन मंत्री श्री नीतिन गडकरी जी को सुझाव दिया है कि ड्राइविंग लाइसेंस देने से पहले नींद संबंधी जांच अनिवार्य की जाए।”
नई तकनीकों पर बात करते हुए यूनाइटेड किंगडम से आए श्वसन एवं निद्रा चिकित्सक डॉ. मिलिंद सोवनी ने कहा, “आजकल मेडिकल साइंस इतना विकसित हो गया है कि नींद संबंधी समस्याओं का इलाज घर बैठे भी संभव है। पहले मरीजों को अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते थे। अब सीपेप मशीन की मदद से डॉक्टर घर बैठे ही मरीज की नींद की गहराई, गुणवत्ता, हृदयगति और श्वास संबंधित विकारों की जांच कर सकते हैं और इलाज कर सकते हैं।”
गुरग्राम से आई SEAASM की भावी प्रेसीडेंट रेसपिरेट्री, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसन कंसल्टेंट डॉ. प्रतिभा डोगरा ने कहा, “हमारी संस्था पिछले कई सालों से डॉक्टरों और आम लोगों को नींद संबंधी समस्याओं के प्रति प्रशिक्षित कर रही है। यह जरूरी है कि डॉक्टर्स मरीज की नींद की आदतों और जीवनशैली के बारे में विस्तार से पूछें, नींद की जांच करवाएं, मरीज को नींद संबंधी समस्याओं के बारे में जानकारी दें और उपचार के विकल्प बताएं, नींद की दवाओं के बारे में सावधानीपूर्वक बताएं और उनके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दें। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि अच्छी नींद हमारे शरीर और दिमाग के लिए बहुत जरूरी है। अगर हमें अच्छी नींद नहीं आती तो हम कई तरह की बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं।”
शिशुओं में होने वाली नींद समस्याओं पर मुंबई से आई शिशु पल्मोनोलॉजी रोग विशेषज्ञ डॉ. इंदु खोसला ने कहा, “नवजात शिशुओं की नींद का पैटर्न वयस्कों से काफी अलग होता है। उन्हें 10 घंटे की नींद जरूरी होती है, वे दिन-रात में कई बार छोटे-छोटे टुकड़ों में सोते हैं। हालांकि, कई माता-पिता को अपने नवजात शिशु की नींद से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ बहुत सामान्य लक्षणों से आप बच्चों में होने वाले नींद से जुड़े विकारों को आसानी से समझ सकते हैं। यदि बच्चा नाक की जगह मुंह से श्वास ले रहा है, बार बार नींद से जाग रहा है, खर्राटे ले रहा है, नींद में चल रहा है, या बार बार करवट बदल रहा है तो ये सब नींद से जुड़े विकार हो सकते हैं। नवजात शिशुओं में नींद की समस्याओं के समाधान के लिए नियमित दिनचर्या बनाएं, आरामदायक माहौल प्रदान करें, शिशु को समय-समय पर दूध पिलाएं, डायपर नियमित रूप से बदलें, शांत वातावरण बनाएं और डॉक्टर से सलाह लें।”
टॉक शो में सवाल का जवाब देते हुए SEAASM की सेक्रेटरी डॉ. शिवानी स्वामी ने बताया, “नींद की समस्याएं आजकल बहुत आम हो गई हैं। ये समस्याएं सिर्फ हमारी नींद को ही प्रभावित नहीं करतीं, बल्कि हमारे पूरे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं। नींद की समस्याओं के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि अनिंद्रा (नींद न आना), अत्यधिक नींद आना, नींद में चलना या बात करना, खर्राटे आना और स्लीप एप्निया (नींद के दौरान सांस रुक जाना)। खर्राटे आने की समस्या से कई लोगों को नींद पूरी नहीं होती और दिन में थकावट महसूस होती रहती है। अच्छी नींद के लिए हमें कुछ साधारण बातों का ध्यान रखना चाहिए। हमें रोज़ाना एक ही समय पर सोने और उठने की कोशिश करनी चाहिए। सोने से पहले कैफीन और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। मोबाइल या कंप्यूटर का इस्तेमाल भी सोने से कम से कम एक घंटे पहले बंद कर देना चाहिए। सोने का कमरा अंधेरा, शांत और ठंडा होना चाहिए। नियमित रूप से व्यायाम करने से नींद अच्छी आती है, लेकिन सोने से ठीक पहले व्यायाम नहीं करना चाहिए। दिन में 20-30 मिनट की झपकी आपकी थकान दूर कर सकती है।”
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनइजिंग सेक्रेटरी श्वसन-रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि डोसी ने कहा, “नींद हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसकी कमी हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। पर्याप्त नींद न लेने से मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और मधुमेह जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य नींद संबंधी विकारों के प्रति लोगों को जागरूक करना था। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के नींद विशेषज्ञों ने नींद संबंधी विभिन्न विकारों के कारणों, निदान और उपचार पर व्याख्यान दिए। इस दौरान नवीनतम अनुसंधानों और उपचारों पर चर्चा की गई और नींद संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए गए। दुनिया भर से आए डॉक्टर्स का इंदौर की ओर से धन्यवाद। भाग लेने वाले लोगों के सवालों ने हमें बताया है कि इसकी कितनी आवश्यकता थी, आपके अनुभव और योगदान हमारे लिए अमूल्य रहे हैं।”