रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में आयोजित हुई सर्वधर्म प्रार्थना सभा

रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में आयोजित हुई सर्वधर्म प्रार्थना सभा

दुनिया में आज गोलियों की आवाज गूंज रही है अगर इसके स्थान पर शांति की गूंज गूंजेगी तो युद्ध के हालात टल भी सकते- मुनिश्री प्रमाण सागर

सभी धर्मों के धर्म गुरूओं ने रखे अपने उद्गार, विश्व शांति के लिए की प्रार्थना, शांति व सद्भाव का दिया संदेश , मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद भी लिया जैन धर्मावलंबियों ने, मुनिश्री धार्मिक ग्रंथ भी भेंट किए

इन्दौर । जिस प्रकार हम अपने अस्तित्व को स्वीकारते हैं उसी तरह हमें अन्य प्राणियों के अस्तित्व को भी स्वीकारना होगा। जैसे तुम अनुकूलता चाहते हो वैसे ही अन्य प्राणी भी अनुकूलता चाहते हैं। इसीलिए जियो और जीने दो का मंत्र मानवता का मूल मंत्र है। दुनिया का हर धर्म हमें मानवता का संदेश ही देता है। दुनिया में आज गोलियों की आवाज गूंज रही है अगर इसके स्थान पर शांति की गूंज गूंजेगी तो युद्ध के हालात टल भी सकते हैं। आज समस्त विश्व विषमतम दौर से गुजर रहा है। विघटनकारी शक्तियों के कारण समूचा प्राणी जगत सहमा हुआ है। आज समूचे विश्व को सहअस्तित्व, संवेदनशीलता, सहिष्णुता और समरसता के सिद्धांत पर चलने की आवश्यकता है। भारत की संस्कृति सहअस्तित्व मूलक रही है।

उक्त विचार रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में रविवार को आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य भावनायोग के प्रवर्तक मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने मुनिश्री निर्वेगसागर, मुनिश्री संधान सागर ससंघ की उपस्थिति में सभी धर्मों के धर्मगुरूओं व सर्व समाज-सर्व जाति के प्रबुद्ध नागरिकों को विश्व में बढ़ते हुए युद्ध और अशांति को विराम देने के उद्देश्य से आयोजित प्रार्थना सभा के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री प्रमाण सागर ने कहा कि सर्व भूतात्म भावना का वर्णन वेदों, शास्त्रो, ग्रंथो व आगमो में बताया गया है। इसी सिद्धांत पर संवेदनशीलता निर्मित होगी। संवेदनहीनता, सहअस्तित्व की भावना के अभाव में निर्मित होती है। जहाँ असहिष्णूता बढ़ती है वहां संघर्ष होता है तभी सहअस्तित्व, संवेदनशीलता व समरसता का विलोप होता है। मुनिश्री ने कहा कि युद्ध से आज तक कभी किसी समस्या का हल नहीं निकला। आजकल तो पूरा युद्ध कम्युटर से लड़ा जाता है यदि किसी के दिमाग में फितूर आ गया तो पूरा विश्व सर्वनाश की ओर आगे बढ़ जाएगा। यदि हम सभी लोग प्रार्थना करें तो निश्चित ही उनका हृदय परिवर्तन होगा और सद्बुद्धि आएगी। मुनिश्री ने कहा कि न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व में यह संदेश जाना चाहिए कि विश्व में शांति हो। यह कार्य एक दिन के कार्य से पूर्ण नही होगा, यदि दुनिया में शांति के संदेश गूजेंगे तो मुझे उम्मीद है कि मिसाइलें थम जाएगी और वहां का जनजीवन पुन: उस दौर में लौट आएगा।

धर्म प्रभावना समिति द्वारा आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा संयोजक एवं संस्था केसरी अध्यक्ष राहुल जैन (स्पोटर््स वल्र्ड) एवं प्रो. राजीव शर्मा ने बताया कि मुनिश्री प्रमाण सागर जी की निश्रा में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में आचार्यश्री राजेश मुनिजी (श्वेताम्बर समाज), ब्रह्मकुमार अनीता दीदी, शफीक जी (शहर उपकाज), पायस (फादर), ज्ञानी ग्रंथी सज्जनसिंह (सिख समाज), पंडि़त योगेंद्र महंत (अध्यक्ष ब्राह्मण समाज संघ), पंडि़त रामचंद्र शर्मा वैदिक, मुकेश मोड़ (आरएसएस), प्रो. राजीव शर्मा (राष्ट्रीय कवि एवं प्रख्यात लेखक) अपने उद्गार व्यक्त किए। मोहता भवन में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में सभी धर्मगुरूओं द्वारा शांति व सद्भाव का संदेश भी दिया गया। कार्यक्रम में सभी धर्मों के साथ ही सर्व समाज-सर्व जाति सहित 8 हजार से अधिक लोग मुनिश्री प्रमाण सागर के आव्हान पर जुटे थे। कार्यक्रम के अंत में मुनिश्री प्रमाण सागर ने सभी धर्म गुरूओं को स्वंय द्वारा लिखित पुस्तक व धार्मिक ग्रंथ भी सभी को भेंट किए। कार्यक्रम को 150 देशों में लाईव कवरेज भी हुआ। सर्वधर्म सभा में संजय बांकड़ा (अग्रवाल समाज), अशोक अधिकारी (सामाजिक कार्यकर्ता), शशि सतपुड़े (350 एनजीओ अध्यक्ष), प्रदीप बडज़ात्या (पुलकजन चेतनामंच), कुलपति राकेश सिंघाई, कुलपति रेणु जैन सहित 8 हजार से अधिक सर्व समाज-सर्व जाति के प्रबुद्ध नागरिकों एवं समग्र दिगंबर व श्वेताम्बर समाज के धर्मावलंबी में उपस्थित थे। धर्मप्रभावना समिति अध्यक्ष अशोक डोसी, महोत्सव अध्यक्ष नवीन-आनंद गोधा, महामंत्री हर्ष जैन, मुख्य पुण्यार्जक मुकेश-विजय पाटौदी, धर्मेंद्र जैन (सिनकेम)का भी विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन प्रो. राजीव शर्मा ने किया एवं आभार ब्रह्मचारी अभय भैय्या ने माना।

सभी धर्मगुरूओं ने रखे अपने उद्गार
अनीता दीदी (ब्रह्मकुमारी) ने कहा कि हम सब परमात्मा की संतान है। हमें इसी भावना अनुरूप जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन आज हिंसा ने वैश्विक रूप धारण कर लिया है जिससे शांति के स्थान पर अशांति का डेरा है।
ज्ञानी ग्रंथी सज्जनसिंह (सिख समाज) ने कहा कि कोई भी धर्म हमें मानवता के विपरीत व्यवहार करने की शिक्षा नहीं देता।
शफीक (शहर उप काजी) ने कहा कि कोई भी जाति से बढक़र मानवता सर्वोपरि होती है। इंसान गुमराह तब होता है जब शैतानो के मकडज़ाल में फंसता है। हर मजहब का पैगाम जाति के लिए नहीं शांति के लिए होता है।
पंडि़त योगेंद्र महंत (अध्यक्ष ब्राह्मण समाज संघ) ने कहा कि धर्म गुरुओं का नैतिक कर्तव्य है की धर्म की भावना के अनुरूप विश्व में मानवता को बढ़ावा देते हुए विश्व शांति स्थापना के प्रयास होना चाहिए।
पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने कहा कि शांति का शाश्वत संदेश देने वाला ही ईश्वर कहां जाता है। सनातन परम्परा शांति का संदेश देने की रही है। देश के सभी धर्माचार्य शांति के संदेश प्रसारित करेंगे तो विश्व में निश्चित ही शांति स्थापित होगी। मन को टटोलकर अगर संदेश दिया जाए तो वह निश्चित ही कारगर साबित होता है।
कुलपति राकेश सिंघाई ने कहा कि शांति की ऊर्जा का जो अलख जगाया है वह सूक्ष्म रूप होते हुए भी विशाल रूप में परिणत होगा। शांति का संदेश ही हमारा ध्येय होना चाहिए।
मुकेश मूड (आरएसएस) ने कहा कि भारत ने हमेशा मानवता के सिद्धांत पर अमल किया है।