सुरक्षा की दृष्टि से आंकलन करें तो स्पष्ट दिखाई देता है कि भारत सभी दिशा में दुश्मन देशों से घिरा हुआ है। चीन और पाकिस्तान तो स्थायी दुश्मन हैं ही अब बंगलादेश भी भारत के लिए खतरा होता जा रहा है। श्रीलंका भी चीन की गोद में बैठा हुआ है। भारत से सटा हुआ उसका बंदरगाह कोलम्बो उसने 100 वर्ष के लिए चीन के पास गिरवी रख दिया है। मालदीव में भी चीन समर्थक सरकार है। भारत के लिए विशेष खतरे की घंटी यह भी है कि उसके दो प्रमुख दुश्मन देश, पाकिस्तान – चीन, परमाणु बम से सम्पन्न हैं। दुनिया के किसी अन्य देश के सामने इस तरह का खतरा नहीं है। दुर्भाग्य से दुश्मनों से घिरे भारत के लिए एक नया खतरा उत्पन्न हो गया है- यह बंगलादेश है ।
बंगलादेश के लिए भारत ने जो किया वह सर्व विदित है, उसके वर्णन की आवश्यकता नहीं। दुःख इस बात का है कि यह देश बेवफा निकला। उसकी बेवफाई पर दुःखी होने की आवश्यकता नहीं, आवश्यकता है भविष्य में उससे उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए विचार करने की। विचार तो करेंगे भी, किन्तु उसके पहले यह विचार करना है कि भारत गच्चा कैसे खा गया? क्यों भारत को बंगलादेश में होने वाली घटना के बारे में भनक भी नहीं लगी? बंगलादेश में हुए अचानक तख्ता पलट की जानकारी वहां की हसीना सरकार को भी नहीं हो पाई। बंगलादेश के तख्ता पलट के कुछ समय पहले ही भारत में चुनाव हुए। मोदी की शपथ में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना उपस्थित रही। उसके कुछ दिन बाद ही वे फिर भारत की अधिकारिक यात्रा पर आई। ये सब होता रहा और बंगलादेश में उनके तख्ता पलट का षड्यंत्र बनता रहा। यह षड्यंत्र बहुत गुप्त तरीके से बनाकर क्रियान्वित किया गया। ऐसा लगता है कि शेख हसीना का समर्थन करने वाले किसी भी अधिकारी या ऐजेंसी को इसका पता नहीं चला। यह एक असंभव सी बात है। लगता ऐसा है कि पूरा प्रशासन ही आंतरिक रूप से शेख हसीना का विरोधी हो गया था। सेना ने भी हसीना का साथ नहीं दिया। उसके बाद वहां जो कुछ हुआ वह सब जानते हैं। सबसे अधिक मुसीबत में वहां की हिन्दु आबादी है। उनके साथ हो रहा अमानवीय अत्याचार थम नहीं रहा। दुनिया का कोई भी देश हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए बंगलादेश की नयी सरकार पर दबाव नहीं बना रहा। दुर्भाग्य से भारत भी चुप बैठा हुआ है। बहुसंख्यक हिन्दु देश होने के नाते बंगलादेश के हिन्दुओं की रक्षा करने का उत्तरदायित्व भारत सरकार का है, जिसमें वह पूरी तरह असफल हुई है।
भारत की असफलता दो स्तर पर हुई – बंगलादेश में होने वाले तख्ता पलट की जरा सी भी भनक भारत सरकार को नहीं लगी। बंगलादेश में भारत के गहरे आर्थिक हित जुड़े हुए हैं। भारत की सुरक्षा की दृष्टि से भी बंगलादेश भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भविष्य में भारत को क्या करना चाहिए इस पर विचार करना चाहिए। दुश्मनों से घिरे भारत के लिए बंगलादेश के रूप में एक ऐसा दुश्मन पैदा हो गया है जो अन्य देशों की तुलना में भारत के लिए अधिक खतरनाक है। बंगलादेश के प्रति कठोर रूख अपनाने के बजाय भारत बहुत ही नरम रवैया अपना रहा है। बंगलादेश की क्रिकेट टीम को भारत में मैच खेलने की अनुमति देना बहुत ही अनुचित है। बंगलादेश के प्रति नरम रूख अपनाना भारत के लिए बहुत ही हानिकारक है।
बंगलादेश भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा बनता जा रहा है। जिस रास्ते पर वह जा रहा है वह स्पष्ट रूप से भारत विरोधी है। वहां पहली बार जिन्ना की बरसी मनाई गई। जिन्ना ने बंगलादेश पर बहुत अत्याचार किए थे किन्तु वहां के लोग सब भुल गए हैं। देश पूरी तरह मुस्लिम कट्टरपंथियों के नियंत्रण में चला गया है। हिन्दुओं का वहां सुरक्षित रहना असंभव हो गया है। हिन्दु औरतों को खुलेआम मारा जा रहा है और उन्हें बुर्खा पहनने को कहा जा रहा है। बंगलादेश का पाकिस्तान के साथ चला जाना निश्चित रूप से भारत के लिए बहुत खतरनाक है। बंगलादेश के पाकिस्तानी खेमे में जाने से चीन का प्रभाव भी वहां बढ़ जाएगा। चीन काफी समय से बंगलादेश को अपने प्रभाव में लेने का प्रयास करता रहा है। अब यह काम उसके लिए सरल हो जाएगा। यह भारत के लिए खतरा बहुत बड़ा है, किन्तु ऐसा लगता नहीं कि भारत इस खतरे के प्रति सतर्क है।
सुरक्षा नीति का सर्वमान्य सिद्धांत आक्रामकता है। आक्रामक नीति ही सुरक्षा का सबसे अच्छा मार्ग है, किन्तु भारत की नीति हमेशा से केवल सुरक्षात्मक रही है। आज भी देश आतंकवादियों से अपने घर में लड़ रहा हैं। एक घटना को छोड़ दें तो हम हमेशा आक्रमण ही सहते आए हैं। बंगलादेश का पूरी तरह भारत विरोधी हो जाना देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वहां के हिन्दुओं की दुर्गति की चिंता किसी को नहीं। दुनिया की सभी मानवाधिकार पर काम करने वाली संस्थाएं चुप हैं। दुःख यह है कि भारत भी चुप है। अब यह तो तय है कि हिन्दु बंगलादेश में भी जल्दी ही समाप्त हो जाएंगें, उन्हें इस्लाम कबुलना ही पड़ेगा जैसा पाकिस्तान में हुआ। किन्तु जो खतरा भारत की सुरक्षा को उत्पन्न हो रहा है उससे कैसे निपटा जाएगा?
भारत की विदेश नीति का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। युक्रेन युद्ध रोकने के लिए सभी भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। हम प्रयास भी कर रहे हैं। किन्तु हमारे लिए जो खतरा बंगलादेश के रूप में पैदा हो गया है हम उस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बंगलादेश अधिकतर मामलों में भारत पर निर्भर है भारत चाहे तो उस पर दबाव बनाकर उसकी अकल ठीक कर सकता है, किन्तु ऐसा हो नहीं रहा। उदारता भारत के लिए बहुत हानिकारक होने वाली है। खतरा बहुत बड़ा है। भारत को तुरंत सतर्क होकर कार्यवाही करना चाहिए।