‘रतलाम का इतिहास’ पुस्तक की और पुस्तक के लोकार्पण समारोह की महत्त्वपूर्ण जानकारी।
दशकों तक, अपनी गहरी सक्रियता के साथ, रतलाम से निकट का रिश्ता रखने वाले साहित्यकार और इतिहास लेखक, ललित भाटी द्वारा रची गई पुस्तक ‘रतलाम का इतिहास’ का समर्पण, अजंता पैलेस होटल में, अपने-अपने क्षेत्र के विशिष्ट महानुभावों द्वारा, मिलकर संपन्न किया गया। लोकार्पित हुई इस तीन सौ से अधिक पृष्ठों वाली इतिहास पुस्तक में, रतलाम के इतिहास को, छह विविध खंडों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इसी क्रम में उल्लेखनीय है कि, भाटी पिछले 15 वर्षों से इंदौर के निवासी हो गए हैं। इस पुस्तक की प्रामाणिक सामग्री को एकजुट करने में, उनका दो दशकों का अनथक परिश्रम ही उभरकर सामने आया है।
इस इतिहास ग्रंथ के खंड एक में, तत्कालीन रतलाम राज्य की स्थापना से लेकर, रतलाम के अंतिम राजा तक के शासनकाल का, प्रामाणिक इतिहास लिपिबद्ध किया गया है। खंड दो में, तत्कालीन रतलाम राज्य के इतिहास की अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारियों को बताया गया है। खंड तीन में, देश के स्वाधीनता संग्राम के आंदोलन में, रतलाम के योगदान को दर्शाया गया है। खंड चार में, वर्तमान में, रतलाम में स्थित तथा पूर्वकाल में उपलब्ध रहीं, ऐतिहासिक, पुरातत्त्व महत्व की, उल्लेखनीय धरोहर की जानकारी का प्रामाणिक इतिहास एवं रतलाम के इतिहास से जुड़ी छोटी-छोटी स्मृतियों को शामिल किया गया है। खंड पांच में, रतलाम को महत्त्वपूर्ण बनाने वाली, प्रामाणिक जानकारियों का इतिहास उल्लेखित है। खंड छह में, लेखक की ‘मेरे निजी पन्ने’ शीर्षक से सामग्री प्रकाशित है।
पुस्तक में, रतलाम के रतलाम के ऐतिहासिक और अति दुर्लभ चित्रों का जमकर समावेश है। इसे भूमिका के नाते , अपना शब्द-आशीष भेंट किया है, सुप्रसिद्ध मालवी कवि और गीतकार नरहरी पटेल ने। अभिमत लिखा है, साहित्यकार डॉ. जवाहर कर्नावट ने। पुस्तक के आवरण कवर को सौंदर्य प्रदान किया है, इंदौर के सुप्रसिद्ध कलाकर्मी संजय पटेल ने। पुस्तक पढ़ने से पहले ही, उसके आवरण कवर पर प्रकाशित चित्र, यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि, इस पुस्तक को किस पावन मनोभाव के साथ रचा गया है।
मंच पर पुस्तक लोकार्पण का ज़िम्मा एकाकार होकर निभाया, बैंक ऑफ बड़ौदा, के मुंबई स्थित कॉरपोरेट कार्यालय के सेवानिवृत्त जनरल मैनेजर डॉ. जवाहर कर्नावट, सेवानिवृत्त आई. ए. एस. श्रीमती सूरज डामोर, भारतीय संस्कृति के विद्वान तथा साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, अभ्यास मंडल इंदौर के अध्यक्ष पूर्व ए.डी.एम. रामेश्वर गुप्ता तथा रतलाम की सुप्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पूर्णिमा सुभेदार ने। मंचासीन अतिथियों का भावभीना सत्कार किया, सभागार में उपस्थित मेहमानों के बीच के ही लोगों ने। इस पुस्तक लोकार्पण सत्संग में, बड़ी संख्या में शहर और बाहर से आए हुए गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। संचालन किया साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने।
आभार माना ललित भाटी ने।