भागवत मृत्यु से नहीं, उसके भय से बचाती है- भास्करानंद

भागवत मृत्यु से नहीं, उसके भय से बचाती है- भास्करानंद

गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट और रामदेव मन्नालाल चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा गीता भवन में भागवत ज्ञान यज्ञ का अनुष्ठान

इंदौर, । जिसकी कोई गारंटी नहीं, उसका नाम जीवन और जिसकी फुल गारंटी, उसका नाम मृत्यु। भागवत मृत्यु से नहीं मृत्यु के भय से बचाती है। जीवन मात्र को सबसे ज्यादा डर मृत्यु से ही लगता है, लेकिन भागवत वह संजीवनी है, जो जीव के इस भय को नष्ट कर देती है। भागवत केवल कथा, पोथी या ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के राजपथ पर आने वाली अड़चनों से मुक्ति दिलाने की रामबाण औषधि है। जैसे नौका को आगे बढ़ाने के लिए एक नाविक या पायलट की जरूरत होती है, वैसे ही जीवन को इस संसार रूपी सागर से पार लगाने के लिए एक सदगुरू जरूरी होता है। संसार सागर है और शरीर नौका। कथा में एकाग्रता सबसे महत्वपूर्ण सूत्र माना गया है।
वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने उक्त दिव्य विचार मनोरमागंज स्थित गीता भवन पर गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट और रामदेव मन्नालाल चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान व्यक्त किए। कथा का यह आयोजन समाजसेवी मन्नालाल गोयल और मातुश्री चमेलीदेवी गोयल की पुण्य स्मृति में किया जा रहा है। कथा शुभारंभ के पूर्व आयोजन समिति की ओर से प्रेमचंद –कनकलता गोयल, विजय-कृष्णा गोयल एवं निधि-आनंद गोयल ने व्यासपीठ का पूजन किया। शनिवार को भी साध्वी कृष्णानंद ने अपने मनोहारी भजनों से भक्तों को भाव विभोर बनाए रखा। अनेक श्रद्धालु भजनों पर थिरक रहे हैं। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। गीता भवन में यह कथा 29 अगस्त तक प्रतिदिन सांय 4 से 7 बजे तक होगी और इस दौरान विभिन्न उत्सव भी मनाए जाएंगे।
विद्वान वक्ता ने कहा कि वेद व्यास ने भगवान में मन लगने के कुछ तरीके बताए हैं। उनके अनुसार जब भी अवसर मिले, तीर्थों की यात्रा पर जरूर जाएं और वहां जाकर सेवा का कोई भी कार्य अवश्य करें। यह भगवान की ओर बढ़ने का पहला कदम होगा। वहां जाकर संतों के पास जरूर बैठें, जिससे भक्ति का सृजन होगा। इसी तरह जीवन में आज का काम कल पर नहीं टालें, क्योंकि कल होगा कि नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है। धर्म और अध्यात्म का सही बल यही है कि हमारे मन से मृत्यु का डर नष्ट हो जाए। भागवत मृत्यु से नहीं मृत्यु के भय से बचाती है। समूची भागवत कथा इसी मृत्यु के भय से बचाने की कथा है। विडंबना है कि जीवन की कोई गारंटी नहीं, लेकिन मृत्यु की फुल गारंटी है। मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ माना गया है। इस जन्म में हम जितने अधिक परमार्थ के कार्य कर सकें, जीवन उतना अधिक सार्थक बन जाएगा।