बंगलादेश की घटना – भारत को विदेश-सुरक्षा नीति में अधिक सतर्क होना चाहिए


– प्रो. डी.के. शर्मा
बंगलादेश का अचानक उलटफेर भारत की विदेश और सुरक्षा नीति की स्पष्ट असफलता है। अचानक हुए इतने बड़े उलटफेर की भनक भारत के किसी भी विभाग को लगी हो ऐसा नहीं लगता। जिस तरह से शेख हसीना नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई और कुछ ही दिन बाद भारत के अधिकारिक यात्रा पर आई उससे ऐसा लग भी नहीं रहा था कि उनकी सत्ता की जड़े हिल रही हों। भारत के बंगलादेश के साथ बहुत गहरे आर्थिक और राजनीतिक हित जुड़े हुए हैं। भारत का प्रमुख विरोधी चीन बंगलादेश को पूरी तरह उसके प्रभाव क्षेत्र में लेने के प्रयास करता रहा है। भारत को आर्थिक, सामरिक और राजनीतिक दृष्टि से कमजोर करने के लिए, चीन की दृष्टि से, यह आवश्यक भी है। कुछ दिन पूर्व ही शेख हसीना चीन यात्रा पर गई थी। उनकी यह यात्रा असफल रही। मतभेद के कारण शेख हसीना यात्रा अधुरी छोड़कर लौट आई। भारत के विदेश मंत्रालय और एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) चीन की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हों, किन्तु इस उलटफेर का असली सुत्रधार अमेरिका निकला। अमेरिका ने बंगलादेश में उलटफेर करवाकर भारत को भी धौखा दिया है। इतने बड़े उलटफेर की भनक भारत को नहीं लगी। प्राप्त सूचना के अनुसार अमेरिका बंगलादेश का एक द्वीप अपने कब्जे में लेना चाहता है। इस द्वीप पर सैन्य अड्डा बनाकर वह दक्षिण सागर पर नियंत्रण करना चाहता है। यहां से अमेरिका चीन व भारत दोनों पर नजर रख सकता है। चीन भी इस द्वीप को हथियाना चाहता है। यदि बंगलादेश के उलटफेर के लिए अमेरिका उत्तरदायी है तो निश्चित रूप से उसने भारत को धौखा दिया। इतने बड़े षड्यंत्र की भनक भी भारत को नहीं लगना स्पष्ट रूप से भारत के विदेश विभाग – सुरक्षा विभाग की बड़ी असफलता है। हमारे देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी असफल हो गए।
भारत दुश्मनों से घिरा हुआ है। पाकिस्तान और चीन तो खुले आम भारत से दुश्मनी पर उतारू हैं। चीन ने श्रीलंका के कोलम्बो बंदरगाह पर कब्जा करके भारत पर बहुत बड़ी सामरिक विजय प्राप्त की है। यह तो बहुत पहिले हो चुका है। मालदीव की सरकार भी भारत विरोधी है। वह पूरी तरह से चीन के प्रभाव में हैं। एक और महत्वपूर्ण बात हमें ध्यान में रखनी होगी – हमारे दोनों दुश्मन पड़ोसी, चीन और पाकिस्तान, के पास ऐटम बम है। बंगलादेश का भी भारत विरोधियों के हाथ में जाने से भारत पर खतरा और बढ़ गया है। बंगलादेश की घटना बताती है कि अमेरिका भी भरोसा करने लायक नहीं। इतना बड़ा उलटफेर करवाने के पहले उसने भारत को विश्वास में नहीं लिया। हिन्दुओं के कत्लेआम पर भी अमेरिका ने एक शब्द भी नहीं बोला। यदि बंगलादेश की घटना अमेरिका द्वारा प्रायोजित है तो वह हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को रूकवा सकता था। शेख हसीना का भारत की तरफ झुकाव भी चीन को रास नहीं आ रहा होगा। स्पष्ट है कि चीन और अमेरिका दोनों शेख हसीना की सरकार से प्रसन्न नहीं थे। यह संभव नहीं लगता कि चीन और अमेरिका ने मिलकर शेख हसीना की सरकार को उखाड़ा हो। यदि अलग-अलग भी षड्यंत्र किया हो तो भी उद्देश्य तो एक ही था। वैसे अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में कुछ भी संभव है। प्रत्येक देश अपने देश के हित साधने के लिए कुछ भी कर सकता है। इस विषय पर द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटेन के प्रसिद्ध प्रधानमंत्री विन्स्टन चर्चिल का बयान याद रखने योग्य है। जब उनसे पुछा गया कि ब्रिटेन के स्थायी मित्र कौन है तो उन्होंने उत्तर दिया “हमारे स्थायी मित्र कोई नहीं, हमारे स्थायी स्वार्थ हैं“। स्पष्ट है कि चालाक देश अपनी स्वार्थ सिद्धी के अनुसार मित्र बदलते रहते हैं। संभव है अमेरिका ने बंगलादेश में यही किया हो।
मीडिया बता रहा है कि राहुल गांधी को बंगलादेश में होने वाली घटनाओं के बारे में पहले से जानकारी थी। बंगलादेश के प्रसिद्ध पत्रकार सलालुद्दीन चौधरी ने टीवी चैनल पर स्पष्ट कहा है कि राहुल गांधी को बंगलादेश में होने वाली घटना के बारे में पहिले से जानकारी ही नहीं थी बल्कि उन्होंने उसके लिए अपनी सहमति व्यक्त की थी। चौधरी के अनुसार कुछ दिनों पूर्व राहुल गांधी की लंदन में मुलाकात खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान से हुई थी। रहमान ने बंगलादेश में होने वाली घटना के बारे में राहुल गांधी को बताया था और गांधी ने अपनी सहमति व्यक्त की थी। चौधरी ने बड़े विश्वास से कहा है कि उनके पास इस मुलाकात व षड्यंत्र के पक्के सबूत हैं। इस मुलाकात व षड्यंत्र की भनक भी भारत सरकार को नहीं लगी। इसकी भी जांच भारत सरकार को करवानी चाहिए।
भारत सदैव अपने पड़ोसी देशों के प्रति उदार रहा है किन्तु यह उदारता भारत को महंगी पड़ती है। बंगलादेश बना ही है भारत की कृपा से किन्तु भारत के लिए बहुत फलदायी कभी नहीं रहा। नेपाल पर भारत की विशेष कृपा रही है किन्तु वह चीन के पाले में चला गया। वहां बढ़ने वाले चीन के प्रभाव को भी भारत रोक नहीं पाया। यह भी भारत की कुटनीति की असफलता है।
भारत बहुत बड़ा देश है। उसे पड़ोसियों के प्रति बहुत उदारता और नरमी नहीं दिखानी चाहिए। भारत को अपने छोटे-छोटे पड़ोसियों को उनकी औकात याद दिलाते रहना चाहिए। भारत अपनी उदारता की बहुत कीमत अदा कर चुका है भारत ने पाकिस्तान को भी “मोस्ट फेवर्ड नेशन” का दर्जा दे रखा था। पाकिस्तान ने भारत के साथ जो किया और कर रहा है वह पूरी दुनिया जानती है।
बंगलादेश में जो भी सरकार बने उस पर भारत को दबाव बनाकर भारत के हितों की सरक्षा करनी चाहिए। बंगलादेश का भी भारत विरोधी खेमे में चला जाना हमारे हित में नहीं है। वहां मारे जा रहे हिन्दुओं की रक्षा करना भी भारत का कर्तव्य है। यद्यपि भारत ने इसमें देरी कर दी। यदि भारत तुरंत कार्यवाही करता तो निर्दोष हिन्दु मारे नहीं जाते और महिलाओं के साथ अत्याचार नहीं होता। भारत का वर्तमान व्यवहार एक शक्तिशाली देश जैसा नहीं है। इससे छोटे-छोटे पड़ोसियों की हिम्मत भारत के विरोध में खड़े होने की हो जाती है। देश की सुरक्षा के लिए निर्दयता और दृढ़ता दोनों आवश्यक हैं।