बांग्लादेश में कोहराम, हिन्दुओं का कत्लेआम. – प्रो. डी.के. शर्मा


बांग्लादेश में कोहराम मचा हुआ है। झगड़ा शेख हसीना और खालिदा जिया के समर्थकों के बीच में हैं, परन्तु मारे हिन्दु जा रहे हैं। पाकिस्तान में भी यही होता है और बांग्लादेश में भी यही हो रहा है। विभाजन के समय से ही पाकिस्तान में हिन्दु मारे जा रहे हैं, उन पर अत्याचार हो रहे हैं, उनकी बहन-बेटियों को घरों से खींचकर अगुआ कर लिया जाता है, किन्तु भारत की किसी भी सरकार ने हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए पाकिस्तान की सरकार पर प्रभावी दबाव नहीं बनाया। अपने लंबे कार्यकाल में नेहरू ने कभी भी पाकिस्तान पर दबाव बनाकर हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने की कोशिश नहीं की। नेहरू से तो इस बात की उम्मीद नहीं थी कि वे हिन्दुओं की रक्षा के लिए कुछ करेंगे। वे स्वयं को हिन्दु मानते भी नहीं थे बल्कि उन्होंने कई काम हिन्दु विरोध के किए। वास्तव में न नेहरू खुद को हिन्दु मानते थे और न जिन्ना खुद को मुस्लिम। जिन्ना को तो नमाज पढ़ना भी नहीं आती थी। वे रहन-सहन से पूरी तरह अंग्रेज थे। लेकिन सत्ता के लिए उन्होंने मुसलमानों को उकसाकर देश का विभाजन करवाया। इंदिरा गांधी ने अवश्य पाकिस्तान के विभाजन का बहुत महत्वपूर्ण काम किया किन्तु इससे हिन्दुओं की रक्षा पाकिस्तान व बांग्लादेश में नहीं हुई। जब पाकिस्तान बना तब जिन्ना ने कहा था कि हिन्दुओं व अन्य गैर मुस्लिम अल्प संख्यकों को उनके धर्म का पालन करने की पूरी स्वतंत्रता-सुरक्षा मिलेगी। किसी पर अत्याचार नहीं होगा। किन्तु बाद में इस सिंद्धात का पालन पाकिस्तान में नहीं हुआ। कट्टरपंथी मुल्लाओं और हिन्दु विरोधी तत्वों ने पाकिस्तान पर कब्जा कर लिया जो अभी भी चल रहा है। दिन-प्रतिदिन हिन्दु विरोध पाकिस्तान में बढ़ता जा रहा है। बांग्लादेश में हिन्दुओं की मार काट चल ही रही है किन्तु कोई कुछ बोल ही नहीं रहा, भारत भी नहीं। संसद में भारत के विदेश मंत्री ने बांग्लादेश में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के बारे में बात की किन्तु उन्होंने बांग्लादेश के नागरिक हिन्दुओं की सुरक्षा के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा।
1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद से ही पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ गई। उस समय कई लाख हिंदू मार दिए गए; लाखों हिंदुओं ने भागकर भारत में शरण ली। उस दौरान वहां की आबादी में हिंदुओं का प्रतिशत तेजी से नीचे गिरा। बंटवारे के समय जो हिंदू 28% थे वे अचानक घटकर 22% रह गए। आज पाकिस्तान में हिन्दु 1% से भी कम बच गए हैं।
यही हाल 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय हुआ। तब पाकिस्तानी सेना ने हिंदुओं के गांव के गांव उजाड़ दिए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान 30 लाख से ज्यादा हिंदुओं का खात्मा कर दिया गया। साथ ही बड़ी संख्या में हिंदुओं ने भारत में भी शरण ली। इससे बांग्लादेश की आबादी में हिंदू 18.5% से घटकर 13.5% रह गए हैं और अब ये प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है। इसके बाद साल 2011 में जनगणना करवाई गई तो ये प्रतिशत 8.5% पाया गया और अब ये 8% से भी कम है। वहीं वर्तमान में बांग्लादेश में जनसंख्या में मुस्लिम हिस्सेदारी 76% से बढ़कर 91% हो गई है। स्पष्ट है कि पाकिस्तान व बांग्लादेश दोनों में हिन्दुओं को मार-मारकर मुसलमान बनाया जा रहा है; किन्तु कभी भी किसी भी भारत सरकार ने इसका विरोध नहीं किया। मोदी सरकार ने भी नहीं। मोदी सरकार भी पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं की रक्षा करने में पूरी विफल रही है। आए दिन पाकिस्तान में हिन्दु महिलाओं को जबरन घरों से उठाकर ले जाने, धर्म परिवर्तन कराने के दृश्य मीडिया में दिखाए जाते हैं, परन्तु कभी भी सरकार ने प्रभावी विरोध नहीं किया।
अधिकतर मुस्लिम देशों में मोदी जी की अच्छी साख है और अच्छे संबंध है। उनके द्वारा भी पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सकता था परन्तु यह प्रयास कभी भी नहीं किया गया। बांग्लादेश से भारत के संबंध बहुत अच्छे रहे हैं किन्तु वहां भी हिन्दुओं पर अत्याचार होते रहे। शेख हसीना के समय भी हिन्दुओं पर अत्याचार हुए, मंदिरों को भी तोड़ा गया, किन्तु उन्होंने भी इसे रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए। मोदी सरकार ने भी कभी बांग्लादेश के सामने विरोध नहीं किया। हिन्दु मरते रहे, मार-मारकर मुसलमान बनाए जाते रहे किन्तु सभी सरकार देखती रही, मोदी सरकार भी।
अमेरिका दुनिया का ठेकेदार बनता है किन्तु उसने भी वर्तमान में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और हत्याओं पर कुछ नहीं बोला। हिन्दुओं के घर जलाए जा रहे हैं, उन्हें मारा जा रहा है परन्तु दुनिया का ठेकेदार चुप है। टीवी पर महिलाओं की सहायता के लिए चीखें सुनाई दे रही किन्तु किसी को भी सुनाई नहीं दे रही। मानवाधिकार की बात करने वालों में से कभी किसी ने पाकिस्तान व बांग्लादेश में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार के बारे में बात नहीं की।
यूएनओ भी चुप है। बात-बात पर यूएनओ पर प्रस्ताव लाने वाले गायब हैं। यूएनओ विश्वशांति व मानवाधिकार की रक्षा के लिए ही बनाया गया था, किन्तु वह यह काम कभी भी नहीं कर पाया। यह एक बेकार और निरर्थक कार्यालय है जिसमें कुछ भी ठीक नहीं होता।
आज की दुनिया में हिन्दुओं से अधिक असुरक्षित कौम और कोई नहीं । खतरे में भी वहीं सबसे अधिक है। दुनिया की किसी भी सरकार को हिन्दुओं की रक्षा से कुछ लेना-देना नहीं, उनकी चिंता भी नहीं। किन्तु भारत की प्रत्येक सरकार का कर्तव्य बनता है कि वह दुनिया के दुसरे देशों में हिन्दुओं की रक्षा करे। यह उनका नैतिक और वैधानिक दायित्व बनता है। वैसे तो भारत में भी कभी हिन्दु सुरक्षित नहीं रहे और उनकी संख्या प्रतिशत कम होता जा रहा है, फिर भी सहिष्णुता के सभी पाठ हिन्दुओं को ही पढ़ाए जाते हैं।
विदेशों में रह रहे हिन्दुओं को भी बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में आवाज उठानी चाहिए। अमेरिका में 50 लाख हिन्दु रहते हैं, उनका वहां की राजनीति में भी बहुत प्रभाव है किन्तु वे भी सब चुप हैं। वास्तव में हिन्दु कभी संगठित रहे भी नहीं। उन्हें संगठित होना होगा तभी हिन्दुत्व बच पाएगा अन्यथा उनका नामनिशान दुनिया से मिट जाएगा। दुर्भाग्य से हिन्दु संगठित नहीं हैं।
लिखते-लिखते भारत में भी हिन्दुओं को धमकी दी जाने लगी हैं। भारत के प्रधानमंत्री के घर में भी लोग घुस जाएंगे ऐसे धमकी कांग्रेसी मुसलमान सलमान खुर्शीद, महबूबा मुफ्ती आदि ने दी है। दुर्भाग्य से इसका समर्थन प्रबल हिन्दुवादी नेता रहे बाल ठाकरे के पुत्र उद्दव ठाकरे ने भी किया। सभी जानते हैं कि उन्होंने सत्ता के लिए अपने पिता के सिंद्धातों का बलिदान कर दिया। स्पष्ट है कि भारत में भी हिन्दु विरोधी तत्व सक्रिय होते जा रहे हैं। वे विद्यमान तो हमेशा रहे हैं किन्तु बांग्लादेश की घटनाओं से प्रोत्साहित होकर हिन्दु विरोधी माहौल बनाया जा रहा है। ऐसा ही हिन्दु विरोधी माहौल देश के विभाजन के समय रहा होगा। हिन्दु बहुत सहनशील कौम है और उसे इसकी हमेशा भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है। हम साम्प्रदायिकता के समर्थक नहीं है किन्तु सभी देशों में हिन्दुओं की रक्षा की जानी चाहिए। अगर भारत में हिन्दु असुरक्षित हो गए तो उनके लिए पृथ्वी पर कोई स्थान नहीं बचेगा। इसलिए भारत सरकार को विदेशों में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को रूकवाने का पूरा प्रयास करना चाहिए। साथ ही भारत में हिन्दु विरोधी माहौल को पनपने नहीं देना चाहिए।