*रोशनी से जगमगा रहा लालबाग*
मालवा उत्सव में कोली,गामित ढोल, बेगा गरिया,मेवासी,तुर एवं भरतनाट्यम नृत्य हुए
इंदौर। चारों तरफ रोशनी के साथ जगमगाता लालबाग बच्चों की उछल कूद झूलों की तेज आवाजें शिल्प बाजार में खरीदी करते कलाप्रेमी कपड़े साड़ी आर्टिफिशियल ज्वेलरी ,क्राकरी की कलात्मक वस्तुएं, आयुर्वेदिक औषधियां, लेदर के कलात्मक पर्स, बैग ,कलात्मक बंदनवार, दही जमाने के मिट्टी के बर्तन, वुडन फर्नीचर ,कालीन से लेकर चंदेरी ,काथा वर्क ,महेश्वरी साड़ियां ,ड्रेस मटेरियल, गोबर से बने आइटम सहित सैकड़ों शिल्प कारों की मेहनत एवं शिल्प इस मालवा उत्सव में अपनी छटा बिखेरते नजर आ रहे हैं लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि 18 जून मंगलवार को मालवा उत्सव का अंतिम दिवस है आज रविवार को बड़ी संख्या में लोग लालबाग परिसर में पहुंचे ।
*गुजरात का गरिया, तुर नृत्य हुआ*
लोक संस्कृति मंच के दीपक लवंगड़े एवं नितिन तापड़िया ने बताया कि गुजरात से आए आदिवासी लोक कलाकारों ने माता जी की जन्म तिथि पर घट स्थापना के समय एवं खुशी के मौके पर मेलों में मनोरंजन के लिए किया जाने वाला नृत्य गरिया प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने धोती लाल चोली पहनकर माथे पर मोर पंख एवं फेटा बांधकर दोनों हाथ में डांडिया लेकर नृत्य किया। तूर नृत्य में होली माता की पूजा दिखाई गई साथ ही यह नृत्य सुख दुख सभी मौके पर किया जाता है वास्तु पूजन से लेकर शादी मैं भी इसे किया जाता है सफेद धोती सफेद बंडी एवं सिर पर सफेद टोपी लगाकर कंधों से कंधा मिलाकर हाथ रखकर यह एक सुंदर नृत्य दर्शकों को देखने को मिला।
*महाराष्ट्र का कोली ,मेवाती जनजाति का मेवासी ,मध्य प्रदेश का बेगा कर्मा, गामित रहा खास*
लोक संस्कृति मंच के रितेश पिपलिया एवं निवेश शर्मा ने बताया कि आदिवासी भील जनजाति का नृत्य मेवासी जिसमें खत्री देव की आराधना करने के लिए लड़के लड़कियां धोती पहनकर सर पर पट्टा बांधकर हाथ में करताल व रुमाल लेकर नृत्य करती नजर आई। महाराष्ट्र से आए लोक कलाकारों ने मछुआरा समुदाय का कोली नृत्य प्रस्तुत किया जिसमें हाथ से चप्पू चला कर, मछली पकड़ने का दृश्य दिखाए गया। नागाबेगुन देव की आराधना हेतु किया जाने वाला नृत्य बैगा करमा लड़के और लड़कियों द्वारा किया गया सर पर कलगी और वीरन बांधकर बांसुरी, टीमकी बजाकर खूबसूरत बाजूबंद ,करधनी ,पांव में पैंजानिया की आवाज के साथ नृत्य किया गया जो बहुत ही खूबसूरत बन पड़ा था। गुजरात से आए कलाकारों द्वारा गामित नृत्य भी प्रस्तुत किया गया। आशीष पिल्लई एवं शिष्यों द्वारा वीर नाट्यम और केरल नृत्यम की प्रस्तुति दी गई जिसमें शिष्यों एवं डॉ आशीष पिल्लई ने ऊर्जा से भरा नृत्य प्रस्तुत किया यह नृत्य कोडुगलुर शहर की देवी को अर्पित किया जाता है वहीं केरल नृत्य में भगवान शिव और समुद्र मंथन की कहानी को दिखाया गया उन्होंने कत्थक की भी शानदार प्रस्तुति साथ ही पूजा पटवर्धन दयमंती भाटिया एवं पल्लवी शर्मा के समूह ने भी अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी इस अवसर पर लोक संस्कृति मंच के कंचन गिद्वानी, सतीश शर्मा, मुद्रा शास्त्री, रितेश पाटनी, संकल्प वर्मा, दिलीप शारदा, जुगल जोशी, बिहानी, मुकेश पांडे, विकास केतले आदि मौजूद थे।
विनोद गोयल, नगर प्रतिनिधि