क्षेत्र का चहुमुखी विकास हो तो, राजनीतिक दलों के नेताओं का दलबदल उचित!

राजनीतिक नेतृत्व पर आईना दिखाती रिपोर्ट-:
लेखक एवं विश्लेषक त्वरित टिप्पणीकार, वार्ताकार,
धर्मेंद्र श्रीवास्तव-: विकासशील राष्ट्र के बढ़ते कदमों में यदि एक कदम आगे बढ़ाकर वर्षों से राजनीतिक कद के साथ आगे बढ़ते हुए नेताओं के लिए यह महत्वपूर्ण विषय बन पड़ा है, कि यदि वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए शिक्षा स्वास्थ्य गरीबी सड़क पानी बिजली एवं अन्य आवश्यक मुद्दों को लेकर दलबदल की प्रक्रिया में सम्मिलित होते हैं,

तो आज के परिपेक्ष्य में यह उचित है,

हम देखते हैं कि भारतवर्ष का राजनीतिक इतिहास और अतीत के झरोखे से अगर हम पिछले 6 से 7 दशकों की चर्चा करें तो वर्तमान का विकासशील कार्य भारतवर्ष के लिए काफी सराहनीय और उत्तम दर्जे का दिखाई पड़ता है, जहां एक तरफ इस अखंड भारत की संप्रभुता और धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत इसके प्रमुख प्रमुख पर्यटन स्थल शिक्षा स्वास्थ्य एवं व्यवसाय में जो प्रगति हुई है, वह अतीत के उन दशकों में 0 दिखाई पड़ती है, यह देश इसके वेद और पुराण (वसुदेव कुटुंबकम)

की शिक्षा देते हैं सभी को अपना बना लेने का प्रण देते हैं,

इसकी धार्मिक विरासत को हमें संजो कर रखना परम आवश्यक है, राजनीतिक भूचाल को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि जो देश धर्म और मर्यादा से बंधी हुई राजनीति के साथ आगे बढ़ेगा उसी की राजनीति सफल और प्रगतिशील होगी, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में युवा जाग चुके हैं ,

उन्हें यह भी पता है कि देश कितनी तेजी से प्रगतिशीलता कि राह में आगे बढ़ रहा है सही मायनों में दूर दृष्टि से देखा जाए तो विश्व गुरु बनने की ओर अपने कदम बढ़ा चुका है, देश सामरिक दृष्टि से मजबूत हो चुका है, तकनीकी के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रहा है,

आज देश का हर व्यक्ति धन के आदान-प्रदान को समझ रहा है,

कच्चे घरों से दूरी बनाकर आरसीसी निर्मित छतों के नीचे अपना आशियाना बना चुका है, धर्म जाति वर्ग और पंथ की राजनीति से ऊपर उठकर देश का नेतृत्व सभी को साथ लेकर चल रहा है,

नित नए स्वर्णिम आयाम गढ़ रहा है,

देश की जीडीपी मजबूत होती जा रही है विकास चहुमुखी द्रुतगति से हो रहा है वहीं क्षेत्र में कुछ युवा नेता जिनमें काम करने का उत्साह भी है और अपनी संपूर्ण ऊर्जा के साथ क्षेत्र का विकास करने की चाह भी है डेढ़ दशकों से जो अपने व्यक्तित्व को अपनी विचार शैली को अपनी कार्यपद्धती को घिसी पीटी पार्टी के साथ चल कर आगे बढ़ा रहे हैं,

उन्हें एकांतवास में जाकर विचार करना चाहिए कि मैं अपने क्षेत्र की जनता का भला किस पार्टी में रहकर कर सकता हूं आज इतनी दृतगति से कौन सी पार्टी देश के हित में कार्य कर रही है देश एवं क्षेत्र के मतदाताओं के मन इच्छा में बसी हुई है और देश का 65% से 85% मतदाता  विधानसभा एवं लोकसभा में किस विकासशील पार्टी के साथ जाना चाहता है, वह ऊर्जावान नेता अपनी मन: स्थिति में परिवर्तन करें और दलबदल प्रथा में सम्मिलित होकर अपना और अपने क्षेत्र का विकास करने में लग जाए तो कोई बुरी बात नहीं है,

क्षेत्र का चौमुखी विकास हो रहा हो तो राजनीतिक दलों के नेताओं का दल बदल सर्वथा उचित है!!