प्रारब्ध……….

लेख-: धर्मेंद्र श्रीवास्तव✍️✍️
लेखक आकाशवाणी केंद्र इंदौर
वार्ताकार है……. एवं विभिन्न समसामयिक, धार्मिक, राजनैतिक एवं अन्य लेख प्रमुखता से सटीकता से लेखन करते हैं……… ✍️✍️
मनुष्य अपने जीवन भर के कॉल खंड में उतार-चढ़ाव के साथ जीवन जीता है, किसी को पहले सुख तो बाद में दु:ख प्राप्त होता है…….✍️✍️

तो किसी को पहले दु:ख तो बाद में सुख प्राप्त होता है..✍️✍️

यही प्रारब्ध कर्म की प्रथम सीढ़ी है और इसी के अनुसार मनुष्य जीवन निर्धारित होता है संतान संतति परिवार सामाजिक व्यवहार धनी योग दरिद्रता योग स्वस्थ शरीर योग दुर्घटनाएं, मान सम्मान प्रतिष्ठा धन वैभव राजयोग, सभी हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर वर्तमान जन्म में प्राप्त होते हैं…✍️✍️

जब मनुष्य धर्म अर्थ काम और मोक्ष की कामना के साथ जीवन जीने को आधार बनाता है तो उसका अगला जन्म  प्रारब्ध के अनुसार ही निर्धारित होता है, यह प्राप्त हुआ भाग्य हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों पर निर्धारित होता है उसी के प्राप्त फल अनुसार मनुष्य का विभिन्न योनियों में जन्म होता है और अपने प्रारब्ध कर्म अनुसार वह फल को प्राप्त करता है,

सामुद्रिक शास्त्र एवं अन्य ग्रंथों में जन्म कुंडली हस्तरेखा शारीरिक विज्ञान को दर्शा कर इसकी गणना हमारे मनीषियों ने की है,

इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के मनुष्य की स्थिति को बताया गया है, शारीरिक सौष्ठव से युक्त मनुष्य, सुंदर मनुष्य, कुरूप मनुष्य, आदर्श कद काठी युक्त मनुष्य, बोना मनुष्य, अत्यधिक लंबाई प्राप्त किए मनुष्य, दुबले पतले अशक्त मनुष्य, ऊर्जावान मनुष्य, अत्यधिक लंबाई वाले मनुष्य इसमें महिला पुरुष दोनों का वर्णन है, श्रेष्ठ योग में जन्म लिए मनुष्य दिन में जन्मे मनुष्य रात्रि में जन्मे मनुष्य विभिन्न तिथि और वार में जन्मे मनुष्य सभी का गणना युक्त वर्णन किया गया है, किंतु इसमें कई जगह कल्याणकारी उपाय भी बताए गए हैं उनमें प्राप्त असहनीय कष्टों को सफलताओं एवं प्रसन्नता धनवान बनने के योग्य को दरिद्रता प्राप्त करने के योग को पूर्व जन्म के कर्मों से ही जोड़ा गया है,

विभिन्न उपाय के माध्यम से हम अपने जीवन में आए कष्ट को कम अवश्य कर सकते हैं, किंतु समाप्त नहीं, वर्तमान समय में कष्टों को प्राप्त करते हुए, सुखों को प्राप्त करते हुए, परमार्थ एवं दान परोपकार धर्म के मार्ग पर चलते हुए, हमें अपने अगले जन्म को सुधारने का प्रयास करना चाहिए,

अतः प्रारब्ध का फल अकाट्य है,

इसे किसी भी प्रयोग से नष्ट नहीं किया जा सकता!