विश्व जागृति मिशन के संस्थापक आचार्य सुधांशुजी महाराज के दो दिवसीय गुरू पूर्णिमा महोत्सव का शुभारंभ
इंदौर । यदि हमारे प्रयास और पुरुषार्थ में सच्ची निष्ठा और श्रृद्धा है तो सफलता में कोई संदेह नहीं रह सकता। मंत्र और साधना में बहुत बड़ी शक्ति होती है, जो व्यक्ति को कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ाती है। असफलताओं से निराश होकर अपने मनोबल को कभी कमजोर नहीं होने दें, पूरे मनोयोग से भक्ति और साधना में लगे रहें तो आपके शुभ संकल्प और मनोरथ अवश्य पूरे होंगे।
ये दिव्य विचार हैं प्रख्यात संत और विश्व जागृति मिशन के संस्थापक आचार्य सुधांशुजी महाराज के, जो उन्होंने आज माणिक बाग रोड स्थित गुरू अमरदास हाल पर मिशन के इंदौर मंडल के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय गुरू पूर्णिमा एवं विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर उपस्थित भक्तों के सैलाब को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कोरोना काल के दो वर्षों के बाद हुए इस महोत्सव शिष्यों और भक्तों का उत्साह देखने लायक था। प्रारंभ में मालवांचल की ओर से उन्हें मालवा की पगड़ी और दुपट्टा पहनाकर इंदौर मंडल के प्रधान राजेन्द्र अग्रवाल, कृष्णमुरारी शर्मा, दिलीप बड़ोले, विजय पांडे, घनश्याम पटेल, राजेश विजयवर्गीय ने सम्मानित किया। विधायक जीतू पटवारी ने भी सत्संग स्थल पहुंचकर आचार्यश्री से शुभाशीष प्राप्त किए। सुबह आचार्यश्री ने इंदौर मंडल से जुड़े मिशन के सेवादारों से आत्मीय मुलाकात कर उनके प्रति मंगल भाव व्यक्त किए। बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान एवं अन्य राज्यों के अलावा प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए हैं। रविवार 31 जुलाई को आचार्यश्री सुबह 9 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक गुरू पूर्णिमा महोत्सव में पादुका पूजन के बाद अमरदास हाल पर सत्संग में आशीर्वचन देंगे। आचार्यश्री के साथ मिशन के प्रमुख देवराज कटारिया भी दिल्ली से इंदौर आए हैं। इंदौर मंडल की ओर से उनका भी स्वागत-सम्मान किया गया। सत्संग स्थल पर भगवान महाकालेश्वर और शिवजी के मनोहारी चित्र एवं पृष्ठभूमि वाले मंच का निर्माण किया गया है। आचार्यश्री ने इंदौर मंडल के सेवादारों के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर इस महोत्सव का शुभारंभ किया।
आचार्यश्री ने कहा कि ध्यान और आराधना एकांत में और ऐसी जगह बैठकर करना चाहिए जहां से दर्शन की अनुभूति हो सके। भगवान शिव की आराधना हमेशा शुभ फलदायी और कल्याणकारी होती है। आम जगहों पर भी शिवजी की कृपा मिलती ही है, लेकिन आप लोग तो भगवान महाकालेश्वर के इतने निकट रहते हैं इसलिए आप पर विशेष कृपा होगी। मंत्र और साधना में बहुत बड़ी शक्ति होती है। शिवजी की आराधना के लिए पंचाक्षरी और महामृत्युंजय मंत्र का जाप एक साथ करना चाहिए, इसमें गायत्री मंत्र भी जोड़ सकते हैं। कल्याण के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति की दुर्गति कभी नहीं हो सकती। गीता में भगवान कृष्ण ने भी अर्जुन से यह बात कही है कि यदि व्यक्ति साधना करते-करते विमुख हो जाए तो भी उसके कल्याण में कोई कठिनाई नहीं आएगी।