गीता भवन में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में कल धूमधाम से मनेगा भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव
इंदौर, भगवान बुद्धि से नहीं, भक्ति से मिलेंगे। बुद्धि तर्क करती है और भक्ति विश्वास। श्रद्धा और विश्वास के बिना की गई भक्ति और सेवा भी निरर्थक ही होती है। सेवा निष्काम होना चाहिए। सेवा के कई स्वरूप होते हैं, लेकिन दूसरों के दुख दूर करने और उनके आंसू पोंछने से बड़ी और कोई सेवा नहीं हो सकती। भागवत जैसे धर्म ग्रंथ हमें भक्ति और सेवा के मार्ग पर अग्रसर करते हैं।
श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने गीता भवन सत्संग सभागृह में शहर के 30 से अधिक धार्मिक, सामाजिक संगठनों की मेजबानी में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, श्याम अग्रवाल मोमबत्ती, महेश चायवाले, विनोद गुप्ता, संजय मंगल, शिव जिंदल, विनोद अग्रवाल, आशीष मित्तल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंदजी ने कहा कि परमात्मा हमारा अदृश्य साथी हो जो हमें नजर आए बिना भी कदम पर हमें मदद करते हैं। जन्म जन्मांतर का सखा केवल परमात्मा ही हो सकती है, अन्य कोई नहीं। हमारा असली साथी और मार्गदर्शक केवल परमात्मा ही है इसलिए परमात्मा से जुड़े बिना मनुष्य जीवन धन्य नहीं हो सकता।