इंदौर,। संभवतः यह पहला अवसर है जब प्रदेश में पहली बार इंदौर के गीता भवन में श्रावण मास के उपलक्ष्य में सवा लाख पंचमुखी रूद्राक्ष से निर्मित 13 फीट ऊंचे शिवलिंग का शुभारंभ श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद सहित तीन संतों के सानिध्य में आज सुबह मुहूर्त के अनुसार 9.28 बजे किया गया। तीनों संतों ने ही कहा कि वे अपने जीवन में पहली बार इस विशाल शिवलिंग का दर्शन और पूजन कर रहे हैं। तीनों संतों ने इसे इंदौर के भक्तों के लिए सौभाग्य का दुर्लभ अवसर बताया और कहा कि सावन में शिव की भक्ति का यह प्रेरक और स्वर्णिम मौका है, जो हमें घर बैठे मिल रहा है।
शकरगढ़, भीलवाड़ा राजस्थान से आए संत ब्रह्मचारी हंस चैतन्य एवं वृंदावन की साध्वी कृष्णानंद ने इस शिवलिंग की महत्ता बताई और कहा कि हमें अपने जीवन में इतना बड़ा, रूद्राक्ष से निर्मित शिवलिंग के दर्शन और पूजन-अर्चन का अवसर कभी नहीं मिला। आज हम स्वयं को सौभाग्यशाली मान रहे हैं कि गीता भवन में हमें यह पुण्य लाभ मिला है। वापी गुजरात से आए उत्सव चेरिटेबल ट्रस्ट के पं. विजय भाई शास्त्री एवं इंदौर के आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच समाजसेवी विनोद अग्रवाल एवं प्रेमचंद गोयल के आतिथ्य में महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने दीप प्रज्ज्वलन के बाद इस शिवलिंग का प्रथम पूजन अर्चन और अभिषेक किया।
महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने कहा कि रूद्राक्ष भगवान शिव की आंखें हैं। इनके दर्शन-पूजन से सभी शुभ संकल्प साकार हो उठते हैं। देवाधिदेव महादेव की श्रावण मास में आराधना, पूजन-अर्चन और अभिषेक हमेशा फलदायी होते हैं। भगवान भोलेनाथ तो इतने सरल देव हैं कि केवल जलाभिषेक से ही प्रसन्न हो जाते हैं। एक और महाकालेश्वर, दूसरी और ओंकारेश्वर के बीच इंदौर के इस तीर्थ स्थल गीता भवन में इस शिवलिंग के दर्शन-पूजन का यह अवसर हमारे लिए परम सौभाग्य का विषय है। कार्यक्रम के सूत्रधार प्रेमचंद गोयल ने शिवलिंग के निर्माण और इसके साथ भागवत कथा के आयोजन की पृष्ठभूमि बताई। मुख्य अतिथि विनोद अग्रवाल ने कहा कि शहर के शिवभक्तों के लिए यह घर बैठे गंगा स्नान जैसा अनुपम अवसर है। ब्रह्मचारी हंस चैतन्य और साध्वी कृष्णानंद ने भी इसे परम सौभाग्य का विषय बताया। संचालन किशोर गोयल ने किया और आभार माना राम ऐरन ने।