रक्त की एक बूंद किसी के लिए बन जाती है जीवनदान

इंदौर।किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए रक्तदान से कई लोगों की जिंदगी बचती है। रक्तदान का कितना महत्व है इसका अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई निकटतम व्यक्ति जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा होता है। रक्तदान कर हम किसी की जान बचाते हैं। कोरोना के दौरान हर व्यक्ति ने ऑक्सीजन और रक्त दान के महत्व को समझ सका है। 14 जून को पूरी दुनिया में विश्व रक्तदान दिवस यानी वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मना रही है। साल 2004 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन ने विश्व रक्तदान दिवस की शुरुआत की थी। दुनियाभर में खून की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। नोबल प्राइस विजेता कार्ल लैंडस्टेनर को एबीओ ब्लड ग्रुप सिस्टम खोजने का श्रेय जाता है। 14 जून को कार्ल लैंडस्टेनर की बर्थ एनिवर्सरी मनाई जाती है।इस वर्ष यानि 2022 की थीम-रक्तदान करना एकजुटता का कार्य है। प्रयास में शामिल हों और जीवन बचाएं यह स्लोगन उन भूमिकाओं की ओर ध्यान आकर्षित करता जो स्वैच्छिक रक्तदान जीवन बचाने और समुदायों के भीतर एकजुटता बढ़ाने में निभाते हैं। इंडेक्स अस्पताल हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 14 जून से रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें एक सप्ताह तक शिविर में युवाओं के साथ लोगों को रक्तदान के लिए जागरुक किया जाएगा। शिविर के शुभारंभ अवसर पर इंडेक्स समूह के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया, वाइस चेयरमैन मयंक राज सिंह भदौरिया, डायरेक्टर आर एस राणावत, एडिशनल डायरेक्टर आर सी यादव, डीन मेडिकल कॉलेज डॅा.जीएस पटेल, मेडिकल सुप्रिडेंटेंड लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ.अजयसिंह ठाकुर उपस्थित थे।

*कोरोना महामारी के बीच रक्तदान का महत्व बढ़ा*

मालवांचल यूनिवर्सिटी प्रो.चासंलर और इंडेक्स डिपार्टमेंट ऑफ़ पैथोलॅाजी विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव नारंग ने बताया कि इंडेक्स अस्पताल में अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए खून की जांच की जा रही है। कोरोनाकाल में प्लाज्मा थैरेपी के साथ कई रोगियों के लिए ब्लड यूनिट की हाइटेक तकनीक काफी मददगार साबित हो रही है। कई बार समय पर मरीजों को खून नहीं मिलता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। ऐसे में रक्तदाताओं के द्वारा दिए गए रक्त उन मरीजों के लिए जीवनदान बन जाता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच रक्तदान का महत्व एक बार फिर से काफी बढ़ गया है। महामारी के दौरान कई चुनौतियों के बावजूद कई देशों समेत विशेष रूप से भारत में रक्तदाताओं ने उन रोगियों को रक्त और प्लाज्मा दान करना जारी रखा, जिन्हें इसकी जरूरत थी।

*कोरोना के बाद ऐसी संस्थाओं की जिम्मेदारी अब दुगुनी हो गई*

उन्होंने बताया कि रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया में जरूरत के मुताबिक खून उपलब्ध करवाना है। दुनियाभर में कई संस्थाएं रक्तदान के लिए शिविर लगवाती है, जहां पर लोग अपनी इच्छा से रक्तदान करता है। किसी जरूरतमंद व्यक्ति मदद करना पुण्य से कम नहीं होता है। उसी प्रकार किसी को खून देना मतलब रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता। इंदौर में आज कई ऐसी स्वयं सेवी संस्थाएं जो हादसे या अन्य किसी बीमारी में ब्लड की जरुरत होने पर दिन रात लोगों को मदद पहुंचा रही है। कोरोना के बाद ऐसी संस्थाओं की जिम्मेदारी अब दुगुनी हो गई है। । एक रिपोर्ट के अनुसार, अपने देश में खून की कमी से हर साल करीब 1.36 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। जो पूरी दुनिया में गर्भावस्था और प्रसव के दौरान हुई मौतों का 25.7 प्रतिशत है।

*रक्तदान करने के फायदे*

— वजन कम करने में खून का दान करने से मदद मिलती है। इसीलिए साल 2 बार रक्तदान करना चाहिए।
— आयरन की मात्रा को बैलेंस करने से लिवर हेल्दी बनता है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है।
— रक्तदान से शरीर में एनर्जी आती है। क्योंकि दान के बाद नए ब्लड सेल्स बनते हैं, जिससे शरीर में तंदुरूस्ती आती है।
— रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक की संभावनाएं कम होती है।
— खून डोनेट करने से लिवर से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है। शरीर में ज़्यादा आयरन की मात्रा लिवर पर दवाब डालती है और रक्तदान से आइरन की मात्रा बैलेंस हो जाती है।