डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू को इटली के मिलान में आयोजित यूरोपियन कांफ्रेंस ऑफ एंडोक्रायनोलोजी में सम्मानित किया गया। साथ ही डॉ साबू को जर्नल ऑफ़ एंडोक्रायनोलोजी की ट्रैवल ग्रांट प्रदान की गयी है। यह सम्मान और ग्रांट हर वर्ष विश्व की सिर्फ़ 10 चुनिंदा रिसर्च को प्रदान की जाती है।
इस वर्ष इस कांफ्रेंस में दुनिया भर के 3000 डॉक्टर सम्मिलित हुए थे।
भारत के कई सेंटर पर हुई इस रिसर्च में यह पाया गया कि 23% मरीज़ जिन्हें डायबिटीज़ है उन्हें यह पता ही नहीं है की उन्हें डिप्रेशन है, साथ ही डिप्रेशन की सम्भावना महिलाओं एवं उन मरीज़ों में ज़्यादा मिली, जिनमे शिक्षा का स्तर कम है। यदि समय रहते इन मरीज़ों में डिप्रेशन का पता लगा लिया जाए और उन्हें इससे बाहर निकालने के उपाय किए जाए तो भविष्य में मानसिक समस्याओं से होने वाले ख़तरों से भी बचा जा सकता है जिससे डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है।
साथ ही इस रिसर्च ने इस बात पर पुनः बल दिया है की डायबिटीज़ में मानसिक स्वास्थ्य का भी उतना ही ध्यान रखा जाना चाहिए जितना हम आहार और शारीरिक श्रम का रखते है ।
इस रिसर्च में डॉ. बंशी साबू , अहमदाबाद, डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव जबलपुर, डॉ. अनिकेत ईनामदार, ओमरगा भी शामिल थे।
यूरोपियन सोसायटी ऑफ एंडोक्रायनोलोजी के अध्यक्ष मार्टिन रिनके ने इस अवसर पर बैज लगा कर डॉक्टर साबू को सम्मानित किया।