बड़ा झटका-सदमे पर एकजुटता का मरहम


रितेश मेहता,रतलाम
करीब डेढ़ दशक से मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबीज भाजपा की सफलता अपने संगठनात्मक कौशल से टीतर कांग्रेस की गुटबाजी हमेशा ही मुफीद रही है लेकिन 2 साल भले ही कांग्रेस छोड़कर गए नेताओं कि वजह से पार्टी की सत्ता चली गई हो मगर मौजूदा स्थिति में गुटबाजी नदारत सी नजर आ रही है।
भले स्थानीय निकाय चुनाव परिणामों पर सत्तारूढ़ भाजपा भारी साबित हो पर कांग्रेस की मौजूदा रणनीति व्यूह रचना उसके लिए भविष्य में शुभ संकेत देती नजर आ रही है। उसका महज एक ही कारण है वरिष्ठतम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश के सभी छात्रपौ का आपसी समवय मत लाना भोपाल नगर निगम महापौर या पार्षदों के चयन में कांग्रेस के इतिहास में शायद पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आवास पर आहूत रात्रि भोज और बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी,पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, पूर्व विधायक आरिफ अकील सहित तमाम भोपाली नेता गुटबाजी को ताक में रखकर एकजुट हुए अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस गुटबाजी से उभरकर संघ और भाजपा की तर्ज पर सामूहिक निर्णय लेने की रणनीति पर कायम रही तो निश्चित ही अनपेक्षित परिणाम सामने आ सकते हैं।