महंतश्री घनश्यामदास ने धर्म और संस्कृति की पताका को फहराए रखा – संत रामप्रसाद

जयघोष के बीच हवा बंगला कैट रोड स्थित हरिधाम पर ब्रह्मलीन महंतश्री की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा

 इंदौर, । इतिहास में नाम उन्हीं का दर्ज होता है, जो समाज और राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। ब्रह्मलीन महंत घनश्यामदास महाराज ऐसे सेवाभावी कर्मयोगी थे, जिन्होंने कठिन हालातों में भी धर्म और संस्कृति की पताका को फहराए रखा, बल्कि पहले धरावरा धाम और फिर केट रोड स्थित हरिधाम जैसे स्थलों को विकसित कर विरासत के रूप में नई पीढ़ी को सौंप दिया। आज उनके सदकर्मों की सुगंध सारे देश में फैली हुई है। बच्चों को संस्कृत और वेदपाठ की शिक्षा से जोड़ने एवं गौसेवा के प्रति समाज को चैतन्य बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

        ये दिव्य विचार हैं बड़ौदा से आए रामस्नेही संप्रदाय के राष्ट्रसंत रामप्रसाद महाराज के, जो उन्होंने आज हवा बंगला, केट रोड स्थित हरिधाम के मंदिर संकुल में ब्रह्मलीन महंत घनश्यामदास महाराज की प्रतिमा के प्रतिष्ठा महोत्सव में व्यक्त किए। आश्रम के अधिष्ठाता महंत शुकदेवदास महाराज के सानिध्य में आचार्य पं. संदीप शुक्ला, अश्विनी मिश्र एवं आचार्य अभिषेक पांडे सहित ग्यारह विद्वानों ने महंतजी की मकराना से बनकर आई संगमरमर की प्रतिमा के विधि न्यास की रस्म संपन्न की। महोत्सव समिति की ओर से अध्यक्ष मुकेश बृजवासी, स्वागताध्यक्ष नारायण अग्रवाल, महामंत्री डॉ. सुरेश चौपड़ा, ओमप्रकाश टिबड़ेवाल, सुधीर अग्रवाल, प्रवीण पांडेय, रवीन्द्र पाल आदि ने मूर्ति की पूजा एवं आरती में भाग लिया। अतिथियों का स्वागत पवन सिंघल, गोविंद मंगल, प्रवेश गर्ग, मुकेश जैन आदि ने किया। मातृशक्ति की और से कुमकुम बृजवासी, पायल चौपड़ा, रेखा अग्रवाल, उषा झंवर, मोनिका दुबे आदि ने ओंकारेश्वर, उज्जैन, खेड़ीघाट एवं अन्य स्थानों से आए संतों की अगवानी की। प्रतिमा की प्रतिष्ठा संपन्न होते ही उपस्थित भक्तों ने महंत घनश्यामदास महाराज के जयघोष के बीच पुष्प वर्षा कर अपनी श्रद्धा एवं प्रसन्नता व्यक्त की।