शिवपुराण में जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए मौजूद हैं अनेक उपाय

इंदौर, । भोलेनाथ के कुल 1008 नाम हमारे शास्त्रों में बताए गए हैं। इनमें से 100 नामों का जाप करें या 100 बार ओम नमः शिवाय महामंत्र का जाप कर लें तो अपने द्वारा वरिष्ठों के प्रति किए गए अपमान के पाप की निवृत्ति हो सकती है। शिव महापुराण में अनेक ऐसे मंत्र और उपाय बताए गए हैं, जिनसे मनुष्य सभी तरह की समस्याओं, चिंताओं और मुश्किलों से मुक्ति पा सकता है। बड़ौदा से आए रामस्नेही संत रामप्रसाद महाराज ने आज हवा बंगला, कैट रोड स्थित हरिधाम पर चल रहे महोत्सव में मौजूद श्रद्धालुओं को हरिधाम के अधिष्ठाता महंत शुकदेवदास के सानिध्य में ऐसे अनेक उपाय और मंत्र बताए।

संत रामप्रसाद महाराज ने कहा कि शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा-आराधना देवता, दैत्य, मनुष्य और सभी तरह के प्राणी करते हैं। शिवलिंग की उत्पत्ति और उनकी महत्ता बताते हुए संतश्री ने कहा कि ब्राह्मणों को सफेद मिट्टी, क्षत्रिय को लाल मिट्टी, वैश्य को पीली मिट्टी और शुद्र को काली मिट्टी के पार्तिव शिवलिंग बनाकर उनका पूजन करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ब्रह्मा ने जब विभिन्न देवताओं को शिवलिंग आवंटित किए तो उनमें इंद्र को माणिक्य, कुबेर को स्वर्ण एवं लक्ष्मी को स्फटिक से निर्मित शिवलिंग दिए गए। सूर्यनारायण को हीरे, विष्णु को नीलमणी, धर्मराज को पुखराज, अश्विनी कुमारों को पीतल के शिवलिंग सौंपे गए। घर में स्फटिक से निर्मित शिवलिंग रखना लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। जिन्हें लक्ष्मी की जरूरत है वे प्रतिदिन शिवलिंग पर अखंड चावल पर चंदन के छींटे लगाकर शिव पंचाक्षर मंत्र के साथ समर्पित करें। इसी तरह संतान सुख के लिए शिवलिंग पर 108 बार गेहूं, गृहों की शांति के लिए और रात्रि में बुरे सपनों से बचने तथा किसी अन्य के द्वारा अपने ऊपर कोई टोटका करने की आशंका से मुक्ति के लिए रोज काले तिल से शिवलिंग पर पंचाक्षर मंत्र से अभिषेक करना चाहिए। संसारी सुखों की प्राप्ति के लिए और दाम्पत्य जीवन में माधुर्य के लिए काले उड़द, तीनों तरह के तापों अर्थात दैहिक, दैविक और भौतिक तापों के नाश के लिए बिल्व पत्र समर्पित करें। शिव भगवान की प्रसन्नता के लिए जासूद के पुष्प चढ़ाएं। घर में सुख-शांति के लिए और स्वयं के भवन निर्माण की कामना पूर्ति के लिए मोगरे के 1008 फूल शिवजी के 1008 नामों से समर्पित करें। विद्यार्थियों को स्मरण शक्ति के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष पहनाएं और गन्ने के रस से बच्चों से भी शिवजी का अभिषेक कराएं। शिवजी की अत्यंत प्रसन्नता के लिए गाय का दूध चढ़ाएं। अखंड धन की प्राप्ति और कर्ज मुक्ति एवं कारोबार की उन्नति के लिए शिवलिंग पर सभी प्रकार के फलों के रस से अभिषेक करें। शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। कोई कार्य प्रारंभ किया है और उसमें रुकावटें आ रही हैं तो उससे मुक्ति के लिए शिवजी को चने की दाल समर्पित करें। संतान की प्रगित के लिए गंगाजल में शहद मिलाकर समर्पित करें और संतान से भी कराएं। आयु में वृद्धि के लिए घी में शकर मिलाकर पूजन-अर्चन करें। व्यक्तित्व के विकास के लिए केसर में जल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अपने ईष्ट की प्रसन्नता के लिए कमल के पुष्पों का समर्पण करें। अन्य कोई पुष्प नहीं है तो केवड़े को छोड़कर सभी तरह के पुष्प और दुर्वा भी शिवलिंग को समर्पित की जा सकती है। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से सुरेश बंसल के आतिथ्य में अध्यक्ष मुकेश बृजवासी, डॉ. सुरेश चौपड़ा, ओमप्रकाश टिबड़ेवाल, प्रहलाद गर्ग, गोविंद मंगल, महेशचंद्र गुप्ता, मांगीलाल ठाकुर, कमलेश सेन, जितेन्द्र गौड़, श्रीमती अनीता पटवारी, मृदुला द्विवेदी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।