इंदौर । त्रिस्तुतिक श्वेताम्बर जैन श्रीसंघ के गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय नित्यसेन सूरीश्वर म.सा. एवं आदि साधु मंडल का भव्य नगर प्रवेश जुलूस आज सुबह राधा नगर स्थित जैन उपाश्रय से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए कुंवर मंडली स्थित श्री राजेन्द्र आराधना भवन पहुंचा, जहां मंगल कलश एवं गंहुली से आचार्यश्री की अगवानी की गई। परिषद के साथियों ने भाव विभोर होकर नृत्य करते हुए मुनि मंडल का स्वागत किया। गच्छाधिपति यहां धार रोड स्थित श्री राज राजेन्द्र जयंतसेन धाम तीर्थ में नवनिर्मित श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ जिन-बिम्ब एवं गुरु मूर्तियों की प्रतिष्ठा हेतु पधारे हैं। यह महोत्सव 1 जून से प्रारंभ होगा।
आराधना भवन पर आयोजित महती धर्मसभा में गच्छाधिपति की निश्रा में मुनिराज निपुणरत्न विजय म.सा. ने कहा कि अपेक्षा ही दुख का मूल कारण है। स्व में आनंद की खोज हमारा लक्ष्य होना चाहिए, लेकिन संसार में पदार्थो की आसक्ति हमें अशांत बनाती है। हमारी जितनी कम अपेक्षाएं होंगी, दुख भी उतना ही कम होता जाएगा। प्रारंभ में गच्छाधिपति को कामली बोहराने का लाभ सुरेन्द्र जैन कुक्षीवाला परिवार ने लिया। अतिथियों का स्वागत संघ के अनिल सकलेचा एवं रमेश श्रीश्रीमाल ने किया। गच्छाधिपति ने अपने आशीर्वचन में समाज बंधुओं को समभाव एवं संगठन में रहने की प्रेरणा प्रदान की। इस अवसर पर पूर्वी क्षेत्र महिला परिषद की नई कार्यकारिणी की शपथ विधि श्रीमती राखी रांका द्वारा संपन्न कराई गई। अंत में आभार माना महेन्द्र जैन बागवाला ने।
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के कार्यक्रम – श्रीसंघ के अनिल सकलेचा ने बताया कि बुधवार 1 जून को सुबह 8.30 बजे गच्छाधिपति आचार्य नित्यसेन सूरीश्वर म.सा. का मंगल प्रवेश नावदा पंथ से शुरू होगा। दोपहर में अष्टप्रकारी पूजन किया जाएगा। गुरुवार 2 जून को सुबह 8.30 बजे पाटला पूजन एवं प्रवचन होंगे। इसके बाद पार्श्वनाथ पंच कल्याणक पूजन होगा। शुक्रवार 3 जून सुबह 8.30 बजे परमात्मा, गुरु बिम्ब, ध्वज दंड के 18 अभिषेक, चैत्याभिषेक, प्रवचन एवं मेहंदी वितरण के आयोजन होंगे। शनिवार 4 जून को सुबह 8.30 बजे परमात्मा गुरु बिम्ब, ध्वज दंड आदि की मंगल प्रतिष्ठा, लघु शांति स्नात्र महापूजन होगा। रविवार 5 जून को सुबह 8.30 बजे सत्तरभेदी पूजन के साथ पांच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन होगा। यहां पांच हजार वर्गफीट में चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवान का जिनालय मुंबई के समाजसेवी गगलदास लल्लूभाई दोशी परिवार ने बनवाया है। शहर में श्वेताम्बर जैन समाज के 6 गच्छ के 52 मंदिर हैं, इनमें से 11 मंदिर 23वें तीर्थंकर भगवान चिंतामणी पार्श्वनाथ के हैं।