-आबमा उगले चांद लो
– कोरकू, घोड़ी पठाई ,मनिहारों गरबा, पंथी, जनजातीय लोक नृत्यो ने बांधा समां*
–ऊंट पर बैठकर बच्चे हुए खुश*
इंदौर। छोटे-छोटे बच्चे, युवक युवतियां ऊंट पर सवारी करके आनंद लेते, झूला झूलते हुए जोर से चिल्लाने की आवाज निकालना और मालवीय व्यंजनों का लजीज स्वाद का गुणगान करते हुए चटकारे लेकर स्वाद ले सांस्कृतिक कार्यक्रम निहार रहे थे। मालवा उत्सव में आने वाले हर कला प्रेमी दर्शक खुश नजर आ रहा था।
मंच के सचिव दीपक लंवगड़े ने बताया कि शिल्प मेले में आज काफी भीड़ भाड़ नजर आई शिल्प प्रेमी आगंतुक अपने पसंद की शिल्प खरीदते नजर आए जिसमें पीतल शिल्प, लौह शिल्प, ड्राई फ्लावर गलीचे ,ड्रेस मटेरियल ,साड़ी, केन फर्नीचर काफी पसंद की जा रही। वही पोकरण और हरियाणा से आया टेराकोटा के आर्टिकल्स भी लोगों को लुभा रहे हैं।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इंदौर गौरव दिवस के अंतर्गत मनाए जा रहे मालवा उत्सव के आज सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत कोरकू जनजाति के गदली नृत्य से हुई। जिसमें दीपावली एवं होली के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य जिसमें गोल घेरा बनाकर महिला पुरुष नृत्य करते नजर आए साथ ही कबीर गायन भी किया गया। वही कृष्ण लीला का वर्णन कृष्ण वंदना के रूप में कृष्ण के बाल्यावस्था से युवावस्था तक के प्रसंगों का कथक के माध्यम से सुंदर प्रस्तुतीकरण अंकिता अग्रवाल एवं साथियों ने किया जिसमें माखन चोरी, होली, कालिया दमन, स्टोरी के माध्यम से बताया गया। इसमे कुल 20 लड़कियों ने भाग लिया जिसमें आधे कृष्ण बने हुए थे तो आधे राधा बोल थे “श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे।” वही गुजरात से आए कलाकारों ने ढाल तलवार नृत्य प्रस्तुत किया जिसमें राजपूत जनजाति के लोगों ने अद्भुत शोर्य रस का प्रदर्शन किया जिसमें एक हाथ में ढाल और एक हाथ में तलवार लेकर सुंदर नृत्य किया यह युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात किया जाने वाला नृत्य है सफेद रंग की आंगडी और चोरनी पहनकर लगभग 15 पुरुषों ने यह नृत्य किया।बोल थे “आबमा उगले चांद लो जीजाबाई ने आवा बाढ़” प्राचीन गरबा प्रस्तुत करते हुए लाल हरे रंग की चनिया चोली पहनकर हाथ में लकड़ी लेकर धरती पर ठप ठप करते हुए एवं अनाज साफ करने का सूपड़ा लेकर टिपणी नृत्य प्रस्तुत किया गया ।साथ ही मां अंबे की आराधना करते हुए सुंदर गरबा भी प्रस्तुत किया गया बोलथे “खोडियार छे योग माया मामणियारी” । कोरकु जनजाति द्वारा टीमकी ,चितकोरा, झांज, लेकर था थापटी नृत्य प्रस्तुत किया गया यह चैत के महीने में गेहूं कटाई के बाद किया जाने वाला नृत्य है इसमें पुरुष धोती कुर्ता पहन कर तो महिलाएं साड़ी पहनकर नृत्य करती नजर आई। बैगा जनजाति का नृत्य कर्मा भी मालवा उत्सव के मंच पर देखने को मिला। स्थानीय संस्था कलार्थी की एकता मेहता एवं मोनिका जैन के साथियों ने मोहिनीअट्टम में लक्ष्मी अष्टम एवं नर्मदा अष्टकम के साथ शिव स्तुति प्रस्तुत की बोल थे “भोलेनाथ शंकरा “एवं “नमोस्तुते महामाई महालक्ष्मी नमोस्तुते” वही सतनामी समाज का प्रसिद्ध नृत्य पंथी छत्तीसगढ़ से आए कलाकारों ने प्रस्तुत किया इसमें ऊर्जा के साथ में नृत्य करते हुए पिरामिड भी बनाए गए।
लोक संस्कृति के जुगल जोशी राजेश बिहानी एवं दिलीप पांडे ने बताया कि शिल्प मेले में सीरिया लेबनान एवं बांग्लादेश अफगानिस्तान के शिल्पकारो द्वारा खूबसूरत ज्वेलरी खूबसूरत कालीन सुंदर सुंदर साड़ियां ड्रेस मटेरियल के साथ बांस एवं लकड़ी के सुंदर फर्नीचर भी यहां पर कला प्रेमी दर्शकों के लिए उपलब्ध है शिल्प मेला प्रतिदिन सायंकाल 4:00 बजे से एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतिदिन सायंकाल 7:30 बजे ।
मंच के पवन शर्मा ने बताया कि 28 मई के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ढोलू कुनिथा, प्राचीन अर्वाचीन गरबा, ढाल तलवार ,कोरकू थापटी, कोरकू गदली ,पंथी एवं स्थानीय कलाकारों के नृत्य होंगे शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से प्रारंभ होगा।