रामजी का नाम न तो हम छोड़ते हैं और श्रद्धा सच्ची हुई तो रामजी भी हमें नहीं छोड़ते

इंदौर  भारत संस्कारों का देश है, जहां जन्म से लेकर मृत्यु तक हम अनेक संस्कारों में जीते हैं। कथा या अन्य धार्मिक अनुष्ठान केवल पुण्य के लिए नहीं हैं, इनका पहला फल यही है कि इस तरह के आयोजन हमारा भय छीन लेते हैं। भय सबको रहता है। रामजी का नाम अंतिम समय तक न तो हम छोड़ते हैं और हमारी भक्ति एवं श्रद्धा सच्ची हुई तो रामजी भी हमें नहीं छोड़ते। अनादिकाल से राम और सत्य एक दूसरे के साथ गूथे हुए हैं। हनुमानजी सही मायने में ऐसे भक्त हैं, जिनकी हर सांस रामजी और उनके परिवार के लिए समर्पित है।

       यह प्रेरक विचार हैं जगदगुरु रामानंदाचार्य, श्रीमठ काशी पीठाधीश्वर स्वामी श्री रामनरेशाचार्य महाराज को, जो उन्होंने गीता भवन ट्रस्ट  द्वारा आयोजित प्रभु श्रीराम एवं दास शिरोमणि हनुमान प्राकट्य महोत्सव की धर्मसभा में व्यक्त किए। प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट की ओर से संरक्षक ट्रस्टी गोपालदास मित्तल, अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कार्यक्रम संयोजक विष्णु बिंदल एवं संजय मंगल, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग केटी, बालकृष्ण छाबछरिया, स्नेहा जोशी, हितेश बिंदल आदि ने जगदगुरु का स्वागत किया। इसके पूर्व सुबह राम-हनुमानजी के अभिषेक में सैकड़ों भक्त शामिल हुए। महोत्सव में प्रतिदिन प्रातः 7.30 से 8.30 बजे तक अभिषेक पूजन, 9 से 10 बजे तक जगदगुरु स्वामी रामनरेशाचार्यजी का पूजन 11 से 12 बजे तक भक्तों की आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान तथा अपरान्ह 4 से सायं 7 बजे तक श्रीराम एवं हनुमान कथा के बाद सायं 7 से 7.30 बजे तक महाआरती एवं प्रसाद वितरण के आयोजन हो रहे हैं। समापन हनुमान जयंती पर 16 अप्रैल को होगा।

       जगदगुरु स्वामी रामनरेशाचार्य ने कहा कि प्रभु राम का चरित्र और सत्य, दोनों एक-दूसरे के पर्याय एवं पूरक हैं। दोनों की परिभाषा एक ही है। राम ही सत्य है और सत्य ही राम है। रामजी का नाम अंतिम समय तक हमारे साथ जुड़ा रहता है। हमारी श्रद्धा और भक्ति सच्ची हुई तो रामजी भी हमें नहीं छोड़ते। अनादिकाल से राम और सत्य एक-दूसरे के साथ गूथे हुए हैं। हनुमानजी का चरित्र तो सर्वोत्कृष्ट है। वे वास्तव में ऐसे भक्त हैं, जिनकी हर सास में रामजी और उनके परिवार के प्रति समर्पण का भाव है।