इंदौर, । सभी धर्मों के बीच परस्पर सदभाव ही विश्व के आदर्श स्वरूप का प्रवेश द्वार है। हमारी उपासना ही इन भावों का पोषण करती है। सदभाव की धारा खंडित होती है तो ऐसा धर्म भी पाप की श्रेणी में ही आएगा। मानवीय रिश्तों को मजबूत करने के लिए परस्पर सदभाव जरूरी है और यही हम सबकी साधना का लक्ष्य भी होना चाहिए।
श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ धरणीधर पार्श्वनाथ जैन मंदिर कमेटी हाईलिंक सिटी पर गौतम हाल में आयोजित महामांगलिक के दौरान राष्ट्र संत आचार्य प.पू. दिव्यानंद सूरीश्वर म.सा. ने उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। निराले बापजी के नाम से विख्यात राष्ट्र संत ने कहा कि सदभाव आज के समाज की पहली आवश्यकता है। जहां सदभाव खत्म हो जाता है वहां सदगुण भी जलकर नष्ट हो जाते हैं। आज दुनिया में सदभाव खत्म होता जा रहा है, इसी कारण व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रोगों का शिकार होकर आध्यात्मिक दीवालियापन से ग्रस्त है। इस अवसर पर श्री संघ के शेखर गेलड़ा, अध्यक्ष पुंडरिक पालरेचा, कोषाध्यक्ष सुरेश बोथरा, मनोहर सुराना, सुरेश लोढा, विशाल बंब, दीपक बोहरा, गौरव लौढा, अंकित मारू, जानकी नगर से आए आनंदराज कटारिया, श्रीमती सुमन लोढा, शीला चतर, माधुरी बंब, निर्मला चौपड़ा, सोनू जैन, निर्मला चौरड़िया, वर्षा जैन आदि गुरुभक्त मौजूद थे। शेखर गेलड़ा ने राष्ट्रसंत के हाईलिंक सिटी पधारने पर चादर औढ़ाकर उनका बहुमान किया। कुमारी मोक्षा सुराणा ने गुरु वंदना की। महामांगलिक के बाद संघ पूजा का आयोजन भी किया गया, जिसमें सुरेश गौरव जैन, आकाशदीप एवं सुरेश हितेश रवि जैन माडर्न सिटी वालों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रारंभ में रवि जैन, पवन जैन, चर्चिल जैन, आनंद भंसाली, माधुरी बंब आदि ने आचार्यश्री की अगवानी की।