जीवन में संयम का सूर्योदय हो, इसके लिए प्रयास होना चाहिए

इंदौर । नियमों का मूल्य समझने के लिए हमें बुद्धि तो मिल गई, लेकिन मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने और नियमों का पालन करने के लिए सत्व चाहिए। मुझे तो संयम जीवन मिल गया, अब हम सबके जीवन में संयम का सूर्योदय हो, इसके लिए प्रयास होना चाहिए। यातायात के नियमों की तरह जीवन को संयमित और नियंत्रित करने के लिए गुरुदेव और शास्त्रों के संदेशों के अनुरूप हमारा चरित्र और आचरण होना चाहिए।

       ये प्रेरक विचार हैं श्वेताम्बर जैन समाज की साध्वी कृतार्थप्रभाश्रीजी म.सा. के, जो उन्होंने आज सुबह जानकी नगर स्थित श्वेताम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में अपने पहले उदबोधन में व्यक्त किए। मुनिराज मनीष सूरीश्वर एवं महेन्द्र सूरीश्वर म.सा. के सानिध्य में साध्वी कृतार्थप्रभाश्रीजी म.सा. ने कहा कि जिस तरह रेड सिग्नल पर हमारी गाड़ी रुक जाती है, उसी तरह हम अपनी पाप वृत्तियों पर नियंत्रण रखकर उन्हें भी पूरी तरह रोक सकते हैं। रिवर्स गियर इस बात का सूचक है कि हम प्रायश्यित कर हमसे हुई गलतियों को पुण्य कर्म में बदल सकते हैं। स्पीड ब्रेकर हमारी गति को नियंत्रित करने का काम करते हैं। जीवन में कई इस तरह के प्रसंग आते हैं, जहां हमें अपने कर्मों की गति को नियंत्रित रखकर संयम के साथ चलना होता है। मनुष्य जन्म को सबसे दुर्लभ कहा गया है, दूसरी दुर्लभता होती है संयम जीवन का मिलना। मुझे गुरुदेव की कृपा से मनुष्य जन्म, जिनवाणी और जिन धर्म जैसी उपलब्धियां मिल गई हैं। अब हम सबके जीवन में भी संयम का सूर्योदय होना चाहिए, इस दिशा में भी हम प्रयास करें। हम छोटे-छोटे नियम और संयम रखकर अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।

       इस अवसर पर जानकी नगर सहित विभिन्न श्रीसंघों के प्रतिनिधि एवं अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। साध्वी कृतार्थप्रभाश्रीजी म.सा. सोमवार को धूलिया महाराष्ट्र के लिए साध्वी वृंद के साथ विहार करेंगी।