निराश्रित और दिव्यांग बच्चे भी परमात्मा के ही अंश, उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ें

इंदौर, । निराश्रित और दिव्यांग बच्चे भी परमात्मा के ही अंश हैं। पीड़ित मानवता की सेवा हमारा सबसे बड़ा धर्म होना चाहिए। समाज को ऐसा वातावरण बनाने की जरुरत है, जहां निराश्रित बच्चे भी स्वयं को अपने परिवार का हिस्सा समझ सकें। युग पुरुष धाम बौद्धिक विकास केन्द्र और परमानंद हास्पिटल जैसी संस्थाएं ऐसे निर्दोष बच्चों की सेवा में जुटे हैं, जिन्हें ‘कारा’ के माध्यम से एक सक्षम और संस्कारों से समृद्ध परिवार की तलाश है। आज हास्पिटल के 21वें स्थापना दिवस पर हर काम इक्कीसा होना चाहिए, उन्नीसा या बीसा नहीं।

       युग पुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज ने आज पंचकुइया रोड स्थित परमानंद हास्पिटल के 21वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में दूरभाष के माध्यम से हरिद्वार से उक्त भावपूर्ण संदेश दिया। हास्पिटल के संचालक डॉ. जी.डी. नागर, केन्द्र की अध्यक्ष जान्हवी पवन ठाकुर एवंसचिव तुलसी धनराज शादीजा ने बताया कि कार्यक्रम में वर्तमान में 103 बालिकाएं एवं 91 बालक सहित कुल 194 बच्चे निवासरत होकर शिक्षा-दीक्षा ले रहे हैं। इन बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु युग पुरुष स्वामी परमानंद महाराज ने दूरभाष के माध्यम से उपस्थित लोगों से इन बच्चों को ‘कारा’ के नियमों के अनुसार गोद लेकर पालने का आग्रह भी किया। जिला कार्यक्रम अधिकारी रामनिवास भुदोलिया,  जिला बाल संरक्षण अधिकारी भगवानदास साहू, अविनाश यादव, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष पल्लवी पोरवाल, सदस्य मनीष दुबे, संगीता चौधरी, योगेश जैन भी इस अवसर पर अतिथि के रूप में उपस्थित थे, जिन्होंने दिव्यांग और निराश्रित बच्चों के साथ आत्मीय चर्चा कर उनके कुशलक्षेम पूछे। केन्द्र की प्राचार्य डॉ. अनीता शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। आभार माना अध्यक्ष जान्हवी पवन ठाकुर ने। दिव्यांग बच्चों ने इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। इसके पूर्व सुबह अस्पताल परिसर स्थित मंदिर में प्रताप नगर गुरुद्वारा के बाबा अमरदास के सानिध्य में सुखमनी साहेब का पाठ किया गया। इसके पीछे बच्चों में नानक देव द्वारा ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाकर समाज में समरसता की भावना स्थापित करने का प्रयोजन था।