वन स्टाप सेंटर रखता है खयाल , उम्र के हर पड़ाव पर आई समस्या को हल करने का

इंदौर । कड़कड़ाती ठंड थी,और रात में 12 बजे वन स्टॉप सेंटर पर एक प्रोढ महिला हिमानी आश्रय में आई।बहुत रो रही थी,,हार्ट पेशेंट थी वो महिला, जब आयी तो हांथो में ज़ेलको लगा हुआ था।
वह काफी परेशान थीं। कुछ समझ नही आ रहा था उनको। न खाना खा रही हैं ना ही दूध पी रही थीं।जबकि उनके बैग में दवाई बहुत सारी थी ,वन स्टॉप सेन्टर का स्टॉफ ये समझ चुका था कि दवाईयां चल रही हैं खाना, फल,दूध की बहुत आवश्यकता है।
केंद्र पर सोशियोलॉजी की केस वर्कर सुश्री विनीता सिंह ने प्रशासक डॉक्टर वंचना सिंह परिहार से परामर्श कर उन्हें OSC पर आश्रय दिया।
आश्रय में रहते हुए पहले दो दिन तक वह गुमसुम रहीं और रोती रहीं, फिर सुश्री विनीता सिंह सतत उनसे चर्चा करती रहीं, उन्हे दिलासा देती रहीं।
सतत प्रयास के बाद उनकी चुप्पी टूटी और उन्होंने बताया की छोटे बेटे को पेरालिसिस हो गया है , पति बीमार रहते हैं, पति की पेंशन से घर चलता है लेकिन बड़ा बेटा लॉकडाउन के बाद से कोई काम नही कर रहा और घर पर ही रहता है। हालांकि वो छोटे बेटे का पूरा ख्याल रखता है पर बात बात में गुस्सा करता है , गाली गलौज करता है और मुझ पर हाथ भी उठाता है।वो घर से चला जाए, छोटे की देखभाल मैं कर लूंगी,किसी को रख लूंगी मदत के लिए।
बड़ा बेटा अगर घर में रहेगा तो मैं घर नहीं जाऊंगी।
या तो उसे घर से निकालो नही तो मुझे आश्रम भेजो। हिमानी जी की एक बेटी बहुत बड़े पद में निजी कंपनी में गुजरात मे नौकरी करती है और पति रिटायर्ड अधिकारी हैं।पर भगवान की दी हुई समस्या के आगे सब परेशान हैं।कैसेवर्कर सुश्री विनीता सिंह ने हिमानी की बेटी से संपर्क किया और सारी बात बताई कि उनकी माँ वन स्टॉप सेन्टर में सुरक्षित हैं,तब उनकी बेटी ने बताया कि माँ की अभी हॉल में ही एंजियोप्लास्टी हुई है,उनको दिल का दौरा पड़ा था और अभी उनकी एंजियोग्राफी भी करवाना है। वन स्टॉप सेन्टर से सारी व्यवस्था करवाई गई, फिर हिमानी जी से पूंछ गया कि क्या अब वो आने घर जाएंगी तो भी वो मना कर दी कि किसी आश्रम में भेज दो,क्योंकि बड़ा बेटा मारपीट करता ही।
हिमानी जी के बड़े बेटे से संपर्क कर उससे बात की गई, उसका कहना था की भाई की पूरी देखभाल मैं ही करता हूं, मां मुझेभी भला बुरा कहती रहती है तो मैं भी परेशान हो जाता हूं। मां से उसकी देखभाल संभव नहीं।

हिमानी जी ने पहली बार तो आश्रय में बेटे से मिलने से भी इंकार कर दिया।
जिद पर अड़ी रहीं की बेटे को घर से निकालो।
परामर्शदात्री सुश्री अल्का फणसे ने बेटे को परामर्श के लिए बुलाया। उससे चर्चा की। बेटे को ताकीद की मां से अपशब्द कहना या उनपर हाथ उठाना यह सब करते हुए तुम्हे शर्म आनी चाहिए , घर मां के नाम से है, तो तुम उसमे जबरजस्ती नहीं रह सकते, तुम्हे घर छोड़ना होगा। उससे पूछा गया की क्या तुम भाई की फिजियोथैरेपिस्ट को झगड़कर भगा चुके हो, क्योंकि तुम्हारी मां की ऐसी शिकायत है। तब उसने बताया की मां ही उनको बहुत टोकती है इसलिए वो छोड़कर चले जाते हैं।
एक फिजियोथैरेपिस्ट से बात कर तथ्य परखने की कोशिश की गई तब ज्ञात हुआ की बेटा सही कह रहा है।फिर उसे समझाया गया की तुम भाई के लिए सब कुछ कर रहे हो पर जब तक तुम काम पर नहीं जाओगे और कमाकर नही लाओगे तुम्हारी कोई कदर नही होगी।
तुम्हे 15 दिन की मोहलत दी जा रही है, अगर काम ढूंढकर नौकरी करोगे और भाई का ख्याल भी रखोगे तब ही तुम उस घर में रह पाओगे। और मां जो दावा कर रही की बेटे को अकेले संभाल लेगी उसकी भी परख हो जायेगी, नहीं कर पाई तो तुम्हारे प्रयत्नों की कदर करना सीख जायेंगे।

फिर हिमानी जी को समझाया गया की बेटे को 15 दिन की मोहलत दो, वो काम पर जायेगा पार्ट टाइम जॉब करेगा, और बेटे को सम्हालने में आपकी मदत भी करेगा। उसे कुछ समय दीजिए।वो भाई से बहुत लगाव रखता है और उसकी सेवा करने में वो भी चिड़चिड़ा हो गया होगा पर अब वो ऐसा कोई व्यवहार नही करेगा जिससे आपको कोई ठेस पहुंचे।अब अगर वह अभद्र व्यवहार करे तो उसे घर से निकाल देना।
इस तरह हिमानी जी राजी हुई और बेटे के साथ वापस अपने घर जाने के लिए बोली कि बेटे को समझ दे कि अब दूबारा मारपीट न करे और अपनी बेटी को भी समझाने को बोलने लगी।
डा परिहार ने सारी औपचारिकता पूर्ण कर उन्हे बेटे के साथ घर रवाना किया। और बेटे को वार्निंग दी कि अब यदि माँ के साथ ऐसी हरकत करेगा तो प्रकरण कायम करके जेल भेज सकते हैं।हिमानी के बेटे ने अपनी गलती न दोहराने का वचन दिया और अपनी माँ को लेकर अपने साथ घर चला गया।