वैश्य समाज दर्शक दीर्घा में ही नहीं बैठा रहे, बल्कि मजबूत देश और मजबूत सरकार में भी भागीदार बनें

 

इंदौर । वैश्य समाज के सामने वैश्विक स्तर पर अनेक अवसर भी हैं और चुनौतियां भी। समाज के विषाद को कम करने का काम करता है वैश्य समाज। देश के किसी भी राज्य में चले जाएं, वैश्य समाज का बंधु वहां अपना कारोबार करता दिखाई देगा। छोटे परिवारों के कारण अब कारोबार में जोखिम लेने का काम कम हो गया है। बदलते वैश्विक परिदृश्य में वैश्य समाज को अपने बच्चों की प्रतिभाओं को सही दिशा में ले जाने की जरुरत है। अब वैश्य समाज को केवल दर्शक दीर्घा में ही बैठे नहीं रहना है, बल्कि सबको मिल-जुलकर मजबूत देश और मजबूत सरकार के निर्माण में भी भागीदारी दर्ज कराना होगी।

मंदसौर के सांसद और म.प्र. के एकमात्र वैश्य लोकसभा सदस्य सुधीर गुप्ता ने गुरुवार रात को म.प्र. वैश्य महासम्मेलन एवं अग्रवाल समाज केन्द्रीय समिति द्वारा एबी रोड स्थित माहेश्वरी मांगलिक भवन पर आयोजित सम्मान एवं स्नेह मिलन समारोह में उक्त प्रेरक एवं प्रभावी विचार व्यक्त किए। गुप्ता को मालवी पगड़ी, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया। सांसद शंकर लालवानी, समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, टीकमचंद गर्ग, विष्णु बिंदल अतिथि के रूप में उपस्थित थे। प्रारंभ में संगठन के प्रदेश महामंत्री अरविंद बागड़ी ने स्वागत उदबोधन दिया। संस्था की जानकारी धीरज खंडेलवाल ने दी। राजेश बंसल एवं राजू समाधान सहित शहर के सभी प्रमुख वैश्य घटकों के प्रतिनिधियों ने भी सांसद सुधीर गुप्ता का सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन संजय बांकड़ा एवं मनीष लड्ढा ने किया। वैश्य घटकों के समाजबंधु भी मौजूद थे। गुलाबी शीत लहर के बावजूद बड़ी संख्या में वैश्य बंधुओं ने कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

सांसद सुधीर गुप्ता ने अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में कहा कि वैश्य समाज ने अनेक क्षेत्रों में विकास के कीर्तिमान स्थापित किए हैं। आज हमारे बच्चों के सामने अनेक चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं। हमने वैश्विक स्तर पर दुनिया से कुछ लिया नहीं, बल्कि दिया ही है। पहले संयुक्त परिवार होते थे, लेकिन अब छोटे परिवारों के कारण कारोबार में जोखिम लेने की क्षमता कम हो रही है। वैश्य एक प्रवासी समाज है। देश और दुनिया के हर हिस्से में हमें अपना वैश्य बंधु कारोबार करते दिखाई देता है। असल में वैश्य, समाज के विषाद को कम करने का काम करता है। हमारी प्रवृत्ति धर्म और सेवा की है। देश के सभी संतों के अनुयायियों में भी दस में से सात लोग वैश्य समाज के मिलेंगे। पंद्रहवीं शताब्दी में वैश्य समाज ही दुनिया भर में कारोबार का नेतृत्व कर रहा था। जातिवाद के कारण हम एक दूसरे से समरस होने के बजाय दूर होते गए। आज शिक्षा के क्षेत्र में हमें अपनी मजबूत पकड़ बनाना चाहिए। इंदौर में भी समाज के अनेक ट्रस्ट हैं, जो शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पकड़ बना सकते हैं। वर्तमान हालातों में व्यापार के साथ व्यापारियों को भी बदलने की जरुरत है। वैश्विकरण के चलते पूरा विश्व अब एक गांव बन गया है। अब हम दाल-बाटी की पार्टी करने वाले चेम्बर बनकर न रहें, बल्कि अपने बच्चों को भी वैश्विक बाजार को समझने के लिए दुनिया की सैर पर भेजें। वैश्य महासम्मेलन आईएएस और आईपीएस जैसी परीक्षाओं में प्रशिक्षण देने की योजना चला रहा है, जो अच्छी बात है। हमारे बच्चे तेजी से काम कर रहे हैं। संयुक्त परिवार टूटने से बच्चों में सीखने के अवसर घटे हैं। अब तो ग्रेज्युएट और उच्च शिक्षित बच्चों की पिकनिक पार्टियां आप स्वयं आयोजित करें। इससे उनके बीच में देश-दुनिया को लेकर उथल-पुथल और मंथन शुरू होगा। हमारे बच्चों को उनकी प्रतिभा के अनुसार सही दिशा में ले जाने की जरुरत है। धर्म हमारा प्राण है। मैंने तो प्रण लिया है कि जहां भी जाऊंगा, गीता और रामायण की निःशुल्क प्रतियां घर-घर पहुंचाउंगा। हम सब मिलकर प्रयास करें तो देश में विकास की बहुत गुंजाईशें है। हम केवल दर्शक दीर्घा में बैठे नहीं रह सकते। गीता प्रेस गौरखपुर का उदाहरण हमारे सामने है। मजबूत देश के लिए मजबूत सरकार चाहिए। इसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा।