जीवन की सच्चाई से परिचित कराती है रामकथा- स्वामी रामशरणदास

इंदौर  । रामकथा जीवन की सच्चाई से परिचित कराती है। कथा के माध्यम से हम स्वयं को एकाग्र कर जीवन की बुरी वृत्तियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। अपने ही भीतर को जीतना, अपने ही स्वरूप को जानना और स्वयं को ही खोजना, यही रामकथा का फल है। राम के समूचे जीवन क्रम में कोई लांछन, कमी या दोष नहीं है और इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है।

मथुरा वृंदावन से आए मानस मर्मज्ञ, प्रज्ञाचक्षु संत स्वामी रामशरणदास  के, जो उन्होंने आज रोबोट चौराहा, बर्फानी धाम के पीछे स्थित गणेश नगर में माता केशरबाई रघुवंशी धर्मशाला परिसर में आयोजित रामकथा महोत्सव में राम जन्मोत्सव प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। आज कथा में प्रभु राम का जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। राम का जन्म होते ही मनोहारी भजनों पर सैकड़ों महिलाएं थिरक उठीं। बार-बार प्रभु के जयघोष से कथा पांडाल गूंजता रहा। प्रारंभ में संयोजक तुलसीराम-सविता रघुवंशी, डॉ. सुयशा रघुवंशी, सिद्धार्थ सिसौदिया, संतोष यादव,  हरिशंकर शर्मा आदि ने विद्वान वक्ता का स्वागत किया। कथा स्थल पर सोशल डिस्टेंस एवं मास्क की विशेष व्यवस्था रखी गई है।

पं. रामशरणदास ने कहा कि प्रभु राम इस देश की अस्मिता और गौरव के पर्याय हैं। हमारे पतन के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं हो सकता, हमारा अज्ञान, भ्रम, भय और संशय ही हमारा पतन करता है। धरती पर ऐसा कोई नहीं है जो हमारा अहित कर सकते। संशय से जड़ता आती है। हमारा अंतःकरण श्रद्धा संपन्न होगा तो हमारे अंदर श्रेष्ठ विचारों की ग्रह्यता भी होगी। भगवान श्रीराम प्रेम की मूर्ति और प्रेम के ही पर्याय हैं। उनके जन्म पर समूचे अयोध्या ही नहीं, समूचे अवध क्षेत्र में घर-घर खुशियां मनाई गई। शबरी, केवट, वनवासियों के बीच जाकर प्रभु ने प्रेम ही बांटा है। परमार्थ पाने के लिए द्वंद, अज्ञान, आलस, संशय से मुक्ति के लिए रामकथा से श्रेष्ठ कोई और साधक नहीं हो सकता।