शनि न्याय के देवता, कर्म के आधार  पर अच्छे या बुरे फल मिलते हैं – डॉ. विभाश्री

इंदौर, . हर व्यक्ति के जीवन में तीन बार शनिदेव की साढ़ेसाती और तीन बार ही शनि का ढैय्या आता है। 90 वर्ष की आयु तक यह चक्र प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आता है। दो जुड़वा भाइयों के कर्मफल भी अलग-अलग होते हैं, क्योंकि उनके पिछले जन्म के प्रारब्ध भी अलग-अलग होते हैं। एक ही समय, एक ही राशि और एक ही दिन पैदा होने वाले लोगों के भी कर्मफल एक जैसे नहीं होते। शनि न्याय के देवता हैं, जो हमारे प्रारब्ध और वर्तमान कर्मो के आधार पर अच्छे या बुरे फल प्रदान करते हैं। ज्योतिष विज्ञान में कुछ लोगों द्वारा शनि के नाम पर भ्रम और भय पैदा किया जा रहा है। अनेक लोग शनि के नाम पर कारोबार चला रहे हैं।

       ये विचार हैं औरंगाबाद स्थित शनि आश्रम की संस्थापक, प्रख्यात शनि साधिका, शनि पुराण की इकलौती रचयिता और भारत रत्न अम्बेडकर पुरस्कार से सम्मानित डॉ. विभाश्री के, जो उन्होंने गीता भवन में शनि उपासक मंडल एवं संस्था समरस की मेजबानी में चल रहे पांच दिवसीय शनि पुराण महात्यम कथा के दौरान व्यक्त किए।  संयोजक प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि शनि पुराण का यह दिव्य आयोजन 6 जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर 4 से 6 बजे तक जारी रहेगा।