राम ही सत्य, राम ही सनातन- प्रज्ञाचक्षु स्वामी रामशरणदास

राम ही सत्य, राम ही सनातन

 

इंदौर । राम इस देश की अस्मिता और गौरव के पर्याय हैं। इनके समूचे जीवन चरित्र में कहीं भी कोई दोष नहीं है। यह निर्दोषता ही उन्हें पूजनीय और वंदनीय बनाती है। राम का नाम इस देश की सनातनता और सार्वभौमिकता है। राम ही सत्य है राम ही सनातन है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के प्रसंगों में भी राम नाम ही सत्य होता है। वैष्णवजन वही है जो दूसरों की पीड़ा दूर करे।

मथुरा वृंदावन से आए मानस मर्मज्ञ, संत शिरोमणि प्रज्ञाचक्षु स्वामी रामशरणदास  ने आज  रोबोट चौराहा, बर्फानी धाम के पीछे स्थित गणेश नगर में माता केशरबाई रघुवंशी धर्मशाला परिसर में आयोजित रामकथा महोत्सव में उक्त प्रेरक बातें कही। कथा शुभारंभ के पूर्व  तुलसीराम-सविता रघुवंशी, रेवतसिंह रघुवंशी, रामसिंह राजपूत आदि ने विद्वान वक्ता का स्वागत कर आरती में भी भाग लिया । कथा में आने वाले भक्तों के लिए कोरोना प्रोटोकाल के नियमों का पालन अनिवार्य रखा गया है। कथा स्थल पर मास्क एवं सेनेटाइजेशन की व्यवस्था भी की गई है।

दृष्टीहीन संत रामशरणदास ने कहा कि राम का चरित्र काफी उदार है। जिसने भी स्वयं को श्रीराम से जोड़ा है, उसने हनुमान की तरह अदभुत काम किए हैं। राम के चरित्र में पुरुषार्थ, प्रेम, ममता, समता और एकता के सूत्र दिखाई देते हैं। राम के बिना इस सृष्टि और भारत भूमि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। राम और कृष्ण का अवतरण सिर्फ भारत भूमि पर ही हो सकता है क्योंकि दुनिया के अन्य किसी भी देश की इतनी पुण्याई और पवित्रता नहीं हो सकती।