कर्म अच्छे होंगें तो शनिदेव पुरस्कार भी देंगे और  कर्म बुरे हुए तो दंड से बच भी नहीं सकेंगे –  डॉ. विभाश्री

इंदौर । शनिदेव को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां है। इन्हें दूर करने के उद्देश्य से ही पूरे देश में जगह-जगह शनि पुराण महात्मय कथा का आयोजन किया जा रहा है। शनि न्याय प्रिय देवता हैं। हमारे कर्म अच्छे होंगे तो निश्चित ही पुरस्कार मिलेगा और यदि कर्म खराब हुए तो दंड से भी नहीं बच सकेंगे। इंदौर में शनि पुराण का यह छठा आयोजन हो रहा है, जिसमें अगले चार दिनों में शनि की महादशा, अंतर्दशा, साढ़े साती, ढैय्या और अन्य स्थितियों के बारे में प्रामाणिक जानकारियां देने का प्रयास करेंगे।

       देश की प्रख्यात शनि साधिका, शनि पुराण की इकलौती रचयिता और भारत रत्न अम्बेडकर पुरस्कार से सम्मानित डॉ. विभाश्री ने आज गीता भवन सत्संग सभागृह में शनि उपासक मंडल एवं संस्था समरस की मेजबानी में आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ गीता भवन ट्रस्ट के मंत्री राम ऐरन, उपासक मंडल के प्रदीप अग्रवाल एवं डॉ. विभाश्री द्वारा शनिदेव के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।  डॉ. विभाश्री ने कहा कि शनिदेव की कथा एकाग्रचित्त होकर, जमीन पर बैठकर श्रवण करना चाहिए। समाज में शनिदेव  को लेकर अनेक तरह  की भ्रांतियां व्याप्त हैं, जिनका कई लोग दुरुपयोग कर लोगों से लूट-खसोट भी कर रहे हैं। इन सब हालातों में बदनामी शनिदेव की होती है लिहाजा मैने संकल्प किया है कि इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए देश के विभिन्न शहरों में इस तरह के आयोजन किए जाएंगे।

       डॉ. विभाश्री ने गणेश वंदना, शिव स्तुति एवं सूर्य स्तुति के साथ अपने प्रवचन का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि हमारे 33 करोड़ देवी-देवता हैं लेकिन केवल पांच देवताओं, गणेश, शिव, सूर्य, विष्णु एवं एक आराध्य देवी की स्तुति कर लेने से ही 33 करोड़ देवताओं की प्रसन्नता मिल सकती है। सूर्य के साथ नवग्रह भी जुड़े हुए हैं। सूर्य के प्रकाश से ही ये सभी ग्रह आलौकित होते हैं। उन्होंने सभी स्तुतियों की विधि भी बताई।