मालवा उत्सव का भव्य शुभारंभ – लंबार्डी, गुदंबाजा, गरागल्लू एवं ढिम्सा नृत्य हुए

*मालवा उत्सव का भव्य शुभारंभ*
*लंबार्डी, गुदंबाजा, गरागल्लू एवं ढिम्सा नृत्य हुए*
*शिल्प बाजार हुआ गुलजार प्रतिदिन शुरू

इंदौर। मध्य प्रदेश की पहचान बन चुका मालवा उत्सव का आज भव्य शुभारंभ हुआ। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत मनाए जा रहे इस उत्सव को जनजाति नृत्यों को समर्पित किया गया। नगर पालिका निगम एवं संस्कृति संचनालय मध्यप्रदेश के सहयोग से मनाए जा रहे इस उत्सव में आज बड़ी संख्या में कला प्रेमियों की उपस्थिति लालबाग परिसर पर देखी गई।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि आज ओरछा के राम मंदिर की प्रतिकृति के रूप में बनाए गए मंच पर तेलंगाना का सुप्रसिद्ध नृत्य लंबार्डी जोकि बंजारा जनजाति द्वारा फसल कटने के बाद खुशी में किया जाता है इसमें 15 लड़के और लड़कियों द्वारा फसल कटाई का सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया गया जिसमें लड़कियों ने नीली हरी पीली ड्रेस के साथ भारी भरकम ज्वेलरी पहन रखी थी लड़कों ने ढप्पू वाद्य बजाते हुए नृत्य किया। तेलंगाना के ही आदिलाबाद क्षेत्र में मथुरा से जाकर बसे जनजाति समूह ने कृष्ण के मनमोहक रूप का नाम जपते हुए सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया जिसे मैं तुटा और नगाड़ा वाद्य यंत्र बजाते हुए घूम घूम कर नृत्य किया। आंध्र प्रदेश से आए समूह ने गरागल्लू जनजातीय नृत्य जोकि पोंगल दशहरा दीपावली और उत्सवों के मौकों पर किया जाता है 15 कलाकारों के साथ प्रस्तुत किया जिसके बोल थे” माता पी गणपति बजे” इसमें शादी होकर दूल्हा दुल्हन को घर लाने का उत्सव मनाते हुए दिखाया गया। विशाखापट्टनम से आए हुए समूह ने वहां के पौरजा जनजाति द्वारा जो कि अरकूवैली क्षेत्र की जनजाति है मैं भी ढिम्सा नृत्य प्रस्तुत किया जिसमें गोल गोल घेरा बनाकर घूम घूम कर ढप्पू की धुन पर लड़कियों ने लड़कों के साथ नृत्य किया ।मध्य प्रदेश की धूलिया जनजाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य गुदुम बाजा ने खूब दाद बटोरी इसमें टीमकी, गुदुम, मंजीरा, डफली और शहनाई की धुन पर लय बद्ध नृत्य बहुत ही सुंदर बन पड़ा था ।गुजरात की टीम ने इस बार गरबे में फ्यूजन के रूप में वेस्टर्न गरबा प्रस्तुत किया बोल थे “महिसागर बाजे ढोल” काले रंग की ड्रेस और लड़कियों द्वारा मिक्स रंग की ड्रेस पहनी हुई थी। वहीं मुंबई की टीम ने मछुआरों के समूह द्वारा किया जाने वाला नृत्य कोली प्रस्तुत किया जो एकवीरा माता और खंडोवा की आराधना करते हुए मेलों में किया जाता है। नासिक से आए कलाकारों ने तारपा नृत्य प्रस्तुत किया। वहीं स्थानीय कलाकार जोत्सना सोनी ने 15 लड़कियों के साथ अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को समर्पित राम स्तुति कत्थक के माध्यम से प्रस्तुत की बोल थे “प्रियवर जय जय कार श्री राघव “। इसके अलावा मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध आदिवासी नृत्य भगोरिया भी यहां प्रस्तुत किया गया।
इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मंच पर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं अतिथि स्वागत के द्वारा हुई।