देश की मातृशक्ति को चरित्रवान, विवेकवान और मजबूत बनना होगा – शंकराचार्यजी

इंदौर,  । विधर्मियों ने देश पर कई बार हमले किए हैं, हमें दबाव में रखने की चेष्टाएं की है और हरसंभव धर्मांतरण के लिए प्रयास किए हैं। याद रखें कि सनातन धर्म की जड़ें बहुत गहरी हैं। इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए देश की मातृशक्ति को चरित्रवान, विवेकवान और मजबूत बनने की जरुरत है। प्रलोभन, या दबाव में आकर यदि धर्म परिवर्तन जैसा कदम उठाया जाता है तो यह हमारी संस्कृति के साथ परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए भी आत्मघाती कदम होगा। संतों की वाणी के श्रवण से जीवन में मंगल का आगमन होकर अंतर्मन में घुसे बैठे विकारों और वासनाओं का शमन होता है।

ये दिव्य विचार हैं जगदगुरु शंकराचार्य, भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ के, जो उन्होंने आज शाम बिजासन रोड स्थित अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 54वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन की धर्मसभा में लव जिहाद पर वैदिक उपासना पीठ की साध्वी तनूजा ठाकुर के आतिथ्य एवं चित्रकूट पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी दिव्यानंद महाराज की अध्यक्षता में आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शहर के विभिन्न विद्यालयों के बालक-बालिकाओं ने भाग लिया। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से हरि अग्रवाल, दीपक जैनी ‘टीनू’, बालकृष्ण छाबछरिया, सचिन सांखला, वीरेन्द्र गुप्ता हाईलिंक, सरस्वती पेंढारकर, राजेन्द्र गर्ग, राजेन्द्र मित्तल,  आदि ने शंकराचार्यजी एवं अन्य संतों का स्वागत किया। राष्ट्रकवि पं. सत्यनारायण सत्तन, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे, अभिषेक शर्मा बबलू, जयदीप जैन, अशोक चौहान चांदू, गोविंद पंवार, कपिल शर्मा, पूर्व पार्षद चंगीराम यादव, सुमित त्रिवेदी, सूरजसिंह, सुश्री किरण ओझा आदि ने भी शंकराचार्यजी का स्वागत किया। संत सम्मेलन में महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप, गोधरा की साध्वी परमानंदा सरस्वती, साध्वी अर्चना दुबे, विश्व हिन्दू महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महंत विजयेन्द्रनाथ योगी, उज्जैन के संत वीतरागानंद, चौबारा जागीर के वेदांत भूषण स्वामी नारायणनानंद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं ने लव जिहाद, धर्मांतरण एवं वेद-वेदांत से जुड़े विषयों पर प्रभावी विचार रखे। मंच का संचालन स्वामी नारायणनानंद ने किया।