तीन दिनी प्रतिमा प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन

इंदौर  जब मनुष्य में परमात्मा के प्रति भक्ति का भाव जागृत होता है तब जाकर एक मंदिर का निर्माण होता है। जिसके हृदय में धर्म व दया का भाव होता है उसके लिए पाषाण भी आसान होता है।

यह उदगार जैन संत अनुयोगाचार्य वीररत्न विजय जी म.सा ने रेसकोर्स रोड स्थित पार्श्वनाथ सोसायटी में नवनिर्मित श्री सहस्रफणा शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में प्रतिमा प्रतिष्ठा के तीन दिनी धार्मिक आयोजन के समापन पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
आपने कहा कि जब एक मकान का शुभारंभ होता है तो करीबी लोग ही एकत्र होते हैं लेकिन एक मंदिर निर्माण में संतों व पूरे समाज को शामिल होने का अवसर मिलता है। मंदिर बनाना आसान होता होता है लेकिन उसमें भक्ति भाव के साथ परमात्मा का मनन जरूरी होता है। धर्मसभा में पन्यास प्रवर प्रसन्न सागर जी, राजेश मुनि जी, साध्वी अर्च पूर्णा श्रीजी आदिठाना ने भी संबोधित किया।
विधिकारकों द्वारा मंदिर जी में प्रातः प्रतिष्ठा समारोह, गुरु भगवंतों के प्रवचन के बाद श्री शांति स्नात्र महापूजन किया गया। सभी धार्मिक गतिविधियां विधिविधान कर्ताओं द्वारा सम्पन्न करवाई गई।
आयोजक राजेश जैन ने बताया कि मंगलमय आयोजन में जैन संत अनुयोगाचार्य श्री वीररत्न विजय जी मसा, पन्यास प्रवर श्री प्रसन्नचंद्र सागर जी मसाअभिग्रह धारी डॉ, श्री राजेश मुनिजी मसा तथा साध्वीवर्या सूर्यकांता श्रीजी, सुवर्ण रेखा श्री जी, विजयप्रभा श्रीजी, विरतीयशा श्रीजी, विमल यशा श्रीजी, मुक्ति रेखा श्रीजी, दर्शित कला श्रीजी, अर्चपूर्णा श्रीजी, भक्तिपूर्ण श्रीजी के साथ ही महासती रमणीक कुंवर जी, डॉ, सुशील जी म.सा, आदर्श ज्योतिजी मसा तथा दक्षिण ज्योति आदर्श ज्योतिजी म.सा की निश्रा में नवनिर्मित मंदिर जी में श्री सहस्रफणा शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री गौतम स्वामीजी, श्री नाकोड़ा भैरव, श्रीमद विजय राजेन्द्र सूरीश्वर जी म.सा, श्री अष्टविनायक गणेशजी, श्री महालक्ष्मी जी, श्री महा सरस्वती जी, कुलदेवी अम्बिका माता के साथ श्री पितृ देवता की प्रतिमाएं विराजित की गई।